
भारत सरकार 12 अंकों की विशिष्ट पहचान संख्या का इस्तेमाल करके दुधारू गायों और भैंसों की पहचान कर रही है। इस संबंध में नौ करोड़ दुधारू मवेशियों की पहचान करने के लिए 148 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है। कृषि मंत्री राधा सिंह ने यह जानकारी दी। सिंह ने प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि इससे पशुओं के वैज्ञानिक प्रजनन, रोगों के फैलने पर नियंत्रण और दूध तथा दुग्ध उत्पादों के व्यापार में वृद्धि करने के उद्देश्य की प्राप्ति होगी। राष्ट्रीय पशु उत्पादकता मिशन के पशु संजीवनी घटक के तहत इसे लागू किया जा रहा है।
सिंह ने कहा कि तकनीक के लिहाज से राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड पहले ही पशु स्वास्थ्य और उत्पादन संबंधी सूचना नेटवर्क (आईएनएपीएच) विकसित कर चुका है, जिसे 12 अंकीय विशिष्ट पहचान संख्या वाले पोलीयूरिथिन टैग का प्रयोग करके पशु पहचान संबंधी डाटा अपलोड करने के लिए राष्ट्रीय डाटाबेस के रूप में प्रयोग किया जा रहा है। कृषि मंत्री ने बताया कि निविदा के आधार पर इस पोलीयूरिथिन टैग की कीमत आठ से 12 रुपए प्रति टैग है। नौ करोड़ दुधारू पशुओं की पहचान करने तथा उन्हें नकुल स्वास्थ्य पत्र (स्वास्थ्य कार्ड) जारी करने के लिए पशु संजीवनी घटक के तहत 148 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है।
इस घटक के कार्यान्वयन के लिए राज्यों को केंद्रीय हिस्से के रूप में 75 करोड़ रुपए की राशि पहले ही जारी की जा चुकी है। इन दूधारू पशुओं को आधार से जोडऩे से उनकी संख्या का पता तो चलेगा ही साथ दूध उत्पादन की भी सही जानकारी मिल सकेगी। एेसे में जानवरों के लिए सरकार को योजना बनाने में आसानी होगी। योजनाएं की सही प्रकार से क्रियान्विती भी हो सकेगी। यहीं नहीं इन दुधारू पशुओं को मौसमी बीमारियों से बचाने के लिए टीकाकरण करना भी आसान हो जाएगा। इससे जानवरों के असामयिक होने वाले मौतों के नुकसान से किसानों को बचाया जा सकेगा। किसान का खेती के साथ ही आय के साधन में रूप में जानवर भी अहम होते है। खेती के साथ जानवरों के जरिए आय अर्जित कर किसान अपने परिवार का पालन पोषण करता है।
Published on:
16 Mar 2018 12:41 pm
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