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Aparajita Saptami : सिर उठा रहे शत्रुओं को शांत कर देती हैं ये देवी

हर मनुष्य को पारिवारिक, सामाजिक, कारोबारी जीवन में कई विरोधियों का सामना करना पड़ता है। कई बार यह मुकाबला अत्यंत ही कठिन हो जाता है। दुश्मनों का मान—मर्दन करने के लिए धन बल, बुद्धि बल या शारीरिक बल के साथ ही दैवीय बल की भी आवश्यकता होती है। ऐसे में मां अपराजिता की उपासना शीघ्र फलदायक होती है।

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Devi Aparajita Puja Vidhi , Aparajita Saptami 2020

Devi Aparajita Puja Vidhi , Aparajita Saptami 2020

जयपुर. जीवन वस्तुत: एक युद्ध है, किसी न किसी प्रकार का संघर्ष लगातार बना रहता है। हर मनुष्य को पारिवारिक, सामाजिक, कारोबारी जीवन में कई विरोधियों का सामना करना पड़ता है। कई बार यह मुकाबला अत्यंत ही कठिन हो जाता है। दुश्मनों का मान—मर्दन करने के लिए धन बल, बुद्धि बल या शारीरिक बल के साथ ही दैवीय बल की भी आवश्यकता होती है। ऐसे में मां अपराजिता की उपासना शीघ्र फलदायक होती है।

ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि माता अपराजिता श्री दुर्गा देवी का ही अत्यंत मारक रूप हैं। मां अपराजिता की आराधना बहुत लाभकारी होती है। उनकी पूजा आपकी दैवीय शक्ति को जागृत करती है। इसी के साथ विरोधियों पर विजय भी सुनिश्चित करती है। भाद्रपद शुक्ल पक्ष सप्तमी को अपराजिता सप्तमी भी कहा जाता है। इस दिन अपराजिता देवी के लिए व्रत रखकर उनकी पूजा की जाती है। व्रत के प्रभाव से व्यक्ति प्रत्येक स्थान पर अपराजित रहता है। इसीलिए इसे अपराजिता कहा जाता है।

ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर के अनुसार गणेशजी से स्वयं ब्रह्माजी ने इस व्रत का वर्णन किया था। अपराजिता सप्तमी को ताता अपराजिता या दुर्गाजी की विधिवत पूजा के साथ ही सूर्यपूजन भी करना चाहिए। इस व्रत से धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। मनुष्य दुश्मनों की चालों से बचते रहता है, हमेशा अपराजेय बना रहता है।