
डिंगल जीवन मूल्यों से जुड़ी भाषा है : डॉ. गजादान,डिंगल जीवन मूल्यों से जुड़ी भाषा है : डॉ. गजादान
जयपुर।
राजस्थानी साहित्य, कला व संस्कृति से रूबरू कराने के उद्देश्य से आयोजित ’आखर’ श्रृंखला में रविवार को राजस्थानी भाषा के साहित्यकार डॉ. गजादान चारण से उनके साहित्यिक सफरनामे पर चर्चा की गई।
प्रभा खेतान फाउण्डेशन और ग्रासरूट मीडिया फाउण्डेशन के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम को ‘आखर राजस्थान‘ के फेसबुक पेज से लाईव किया गया। कोरोना महामारी से उत्पन्न परिस्थितियों के चलते इस बार आखर का आयोजन डिजीटल प्रारूप में किया गया।
पिता थे पहले गुरु
अपने प्रारम्भिक जीवन की जानकारी देते हुये डॉ. गजादान चारण ने बताया कि उनका जन्म बीकानेर के नाथुसर नामक गांव में हुआ। उन्होंने जन्म से ही घर में डिंगल छंदों और कविताओं का प्रेरणादायी माहौल पाया। उन्होंने बताया कि उनके पिता अमरदान बारहट डिंगल परम्परा के जाने माने कवि थे, वही उनके पहले गुरू भी रहे।
डिंगल का सार व्यक्ति को प्रेरणा देना
राजस्थानी साहित्य और आम जीवन में डिंगल के महत्व को परिभाषित करते हुए डॉ. गजादान ने बताया कि डिंगल मूलत: जीवन मूल्यों से जुड़ी भाषा है। डिंगल का मूल स्वर ओज़ है। अत: डिंगल व्यक्ति के अन्दर ओज़ का प्रवाह करती है, उसमें जोश को जिन्दा रखती है। किसी भी परिस्थिति में व्यक्ति को यह टूटने नहीं देती है, यहीं डिंगल का सार है। राजस्थानी भाषा के डिंगल में वर्तमान में आये परिवर्तनों के बारें में पूछने पर उन्होंने बताया कि नवीनता प्रकृति को चलायमान बनाये रखती है। हमारे गौरवशाली इतिहास को समेटकर रखने वाली भाषा डिंगल रही है। वर्तमान में नवीन परिवेश और विषयों के आधार पर डिंगल के छंदों को लिखा जा रहा है।
राजस्थानी भाषा के पास सारे मापदंड मौजूद
राजस्थानी भाषा की मान्यता के संदर्भ में डॉ गजादान ने अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि राजस्थानी भाषा के पास में वो सारे मापदंड है जो किसी भी स्वतंत्र भाषा के मान्यता के लिये आवश्यक है। लेकिन राजनीतिक उदासीनता के कारण और जनजागृति के अभाव के चलते यह संभव नहीं हो पाया है। हालांकि साहित्यकारों द्वारा सभी विधाओं में निंरतर काम किया जा रहा है।
Published on:
26 Apr 2020 07:40 pm
बड़ी खबरें
View Allजयपुर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
