
शैलेन्द्र अग्रवाल
केंद्र सरकार ने नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) की जगह यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) लागू करने का निणर्य कर लिया, लेकिन राज्य सरकार ने पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) के भविष्य पर अभी पत्ते नहीं खोले हैं। भजनलाल सरकार ने केंद्रीय संस्थान पीएफआरडीए में अटके एनपीएस के करीब 40 हजार करोड़ रुपए की वापसी पर चुप्पी साध रखी है। वहीं प्रदेश के के 6 लाख से ज्यादा कर्मचारियों में पेंशन को लेकर असमंजस बना हुआ है। इस बीच कर्मचारी संगठनों ने ओपीएस के स्थान पर यूपीएस आने की आशंका को देखते हुए विरोध शुरू कर दिया है।
केन्द्र सरकार के यूपीएस की घोषणा करने के बाद से लगातार अवकाश होने के कारण प्रदेश में अभी यूपीएस पर मंथन शुरू नहीं हो पाया है। हालांकि भजनलाल सरकार आने के समय से ही ओपीएस की विदाई लगभग तय मानी जा रही है, लेकिन राज्य सरकार ने अभी कोई अधिकृत निर्णय नहीं किया है। यूपीएस में ओपीएस के कई प्रावधान शामिल हैं, लेकिन कुछ प्रावधानों पर स्थिति स्पष्ट नहीं होने से कर्मचारियों में विरोध पनप रहा है। सबसे बड़ा मुद्दा यूपीएस में अंशदान के लिए वेतन कटौती को लेकर है, जो यूपीएस लागू होने पर शुरू होना तय है।
राजस्थान के लिहाज से देखा जाए तो ओपीएस कर्मचारियों के लिए फायदेमंद है, योंकि इसमें उसे कोई अंशदान नहीं देना होगा। वहीं यूपीएस लागू होने पर कर्मचारियों को 10 प्रतिशत व राज्य सरकार को 18.5 प्रतिशत अंशदान जमा कराना होगा।
कर्मचारियों से एनपीएस के लिए सालाना ढाई से तीन हजार करोड़ रुपए जमा होते है। ओपीएस लागू होने के समय इतनी ही राशि राज्य सरकार जमा कराती थी। बाद में राज्य सरकार का अंशदान 10 से बढ़ाकर 14 प्रतिशत कर दिया।
एनपीएस के 40 हजार करोड़ रुपए वापस मिले तो कर्मचारियों-सरकार के अंशदान की राशि कहां जमा होगी। ओपीएस लागू होने के बाद कर्मचारियों ने एनपीएस से करीब 499 करोड़ रुपए निकाल लिए थे और रिकवरी को कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में चुनौती दे रखी है। 60 प्रतिशत राशि वापस मिली, शेष का क्या किया जाए?
Published on:
27 Aug 2024 08:45 am
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