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Patrika Book Fair: ‘मिट्टी से जुड़कर चलेंगे तो राह खुद आसान होगी’, राजस्थानी भाषा पर कलक्टर ने रखे विचार

District Collector Jitendra Kumar Soni : पत्रिका नेशनल बुक फेयर के अंतिम दिन आयोजित ‘लेखक से मिलिए’ सत्र में जिला कलक्टर जितेंद्र कुमार सोनी ने राजस्थानी भाषा, साहित्य, लेखन और जीवन के अनुभवों पर श्रोताओं से चर्चा की।

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फोटो: पत्रिका

Patrika National Book Fair 2025: पत्रिका नेशनल बुक फेयर के अंतिम दिन रविवार को आयोजित ‘लेखक से मिलिए’ सत्र में जिला कलक्टर जितेंद्र कुमार सोनी ने राजस्थानी भाषा, साहित्य, लेखन और जीवन के अनुभवों पर श्रोताओं से चर्चा की। उन्होंने कहा कि इंसान जिस मिट्टी से बना है, उसी से जुड़े रहना उसकी पहचान को जीवित रखता है। सोनी ने बताया कि उनकी मातृ भाषा पंजाबी है, लेकिन जन्म और शिक्षा राजस्थान में होने के कारण उन्होंने लेखन के लिए राजस्थानी भाषा को चुना। सत्र का मॉडरेशन पत्रिका के वरिष्ठ पत्रकार चांद मोहम्मद शेख ने किया।

जड़ों से जोड़ती भाषा

नागौर में कलक्टर रहते समय का अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा कि वहां आने वाले हर व्यक्ति से वे उसकी भाषा में ही संवाद करते थे। उनका मानना है कि भाषा इंसान को उसकी जड़ों से जोड़ती है और यह एहसास कराती है कि वह उसी मिट्टी का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि उन्हें खुद को लेखक सुनना अच्छा लगता है।

कविता सुनकर भावुक हुए श्रोता

कलक्टर सोनी ने अपनी बहन के लिए लिखी एक मार्मिक कविता सुनाई, जिसे सुनकर श्रोता भावुक हो गए। उन्होंने अपनी मां से जुड़े किस्से भी साझा किए। उन्होंने कहा कि गांव, खेत और मिट्टी का जितेंद्र मेरे भीतर हमेशा जिंदा रहना चाहिए, चाहे मैं किसी भी मुकाम पर पहुंच जाऊं। युवाओं को प्रेरित करते हुए उन्होंने कहा कि अपने आसपास की दुनिया को देखें, समझें और विनम्र बने रहें। आत्मविश्वास को बनाए रखें और अपनी पहचान को थोपे हुए ढर्रे पर न चलाएं।

देश की 18 भाषाओं का वर्णन

कलक्टर सोनी ने राजस्थानी भाषा के इतिहास पर रोशनी डालते हुए बताया कि इसका साहित्यिक और सांस्कृतिक आधार बेहद प्राचीन है। उन्होंने कहा कि 779 ईस्वी में उद्योतन सूरी द्वारा लिखित ‘कुवलयमाला’ में देश की 18 भाषाओं का वर्णन मिलता है, जिनमें राजस्थानी भाषा भी शामिल थी। उन्होंने इसे सरल और सहज संवाद की भाषा बताते हुए कहा कि भाषा वह पुल है, जो लोगों के बीच भावनात्मक जुड़ाव बनाती है।