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मिट्टी के दीयों के लौटे दिन, चायनीज झालर से उकताए लोग

बढ़ती मांग को देखते हुए कुंभकार खुश, दीयों की डिजायन में भी किया बदलाव

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जयपुर। चाइनीज आइटम से बढती बेरुखी का असर दिवाली पर होने वाली सजावट में भी देखने को मिलेगा। ग्राहक चाइनीज झालरों से दूरी बना रहा है। ग्राहकों के इस फैसले के बाद परम्परागत दीयों का कारोबार बढऩे लगा है। मांग बढ़ी तो कुंभकारों के चेहरे खिले हुए दिखने लगे हैं।

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ग्राहक दीपावली पर रोशनी के लिए चाइनीज झालरों की जगह मिट्टी के दीपक से घरों में रोशनी को प्राथमिकता दे रहे हैं। कुंभकारों की मानें तो बीते कई सालों से मंद पड़े दीया कारोबार को इस बार संजीवनी मिलने की उम्मीद है। कुंभकार पिछले सालों की तुलना में इस बार 25 फीसदी तक बढ़ोतरी की उम्मीद कर रहे हैं।

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5 से 300 रुपए तक
जब मांग बढ़ती दिख रही है तो कुंभकारों ने दीयों के स्वरूप में भी बदलाव कर दिया है। बाजार में पांच रुपए से लेकर 300 रुपए तक के दीये मौजूद हैं। इनकी बिक्री करवाचौथ से शुरू हो जाएगी। कई जगह इनकों को सजाने का काम भी चल रहा है।

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मांग बढ़ी तो बदला स्वरूप
ग्राहकों को लुभाने के लिए मिट्टी के परम्परागत दीयों के साथ डिजायनर, कलरफुल और आकर्षक शेप वाले दीये भी मिल रहे हैं। कारीगरों की मानें तो दीयों के पारम्परिक स्वरूप से स्टाइलिश लुक ग्राहकों को ज्यादा पसंद आ रहा है। आकर्षक डिजायन की वजह से बच्चे दीयों को खरीदना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। कारीगरों का कहना है कि बीते कुछ सालों में दीयों की खरीदारी औपचारिकता भर रह गई थी।

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ये हैं खास

बाजार में अभी पंचमुखी, श्रीफल, त्रिमुखी, सातिया दीए अधिक पसंद किए जा रहे हैं। इनके अलावा बडे दीयों में पांच बत्ती, 7 बत्ती और 21 बत्ती के भी उपलब्ध हैं।