
'कर्ज, फर्ज और मर्ज को हल्का ना समझें'
जयपुर.
मिसाल मशहूर है कि कर्ज, फर्ज और मर्ज को हल्का नहीं समझना चाहिए। जिन लोगों के जिम्मे रमजान के फर्ज रोजे छूटे हुए (कजा) हों या नजर मन्नत माने हुए रोजे हो या कोई नफ्ल रोजा रखकर तोड़ दिया गया हो। इन रोजों की कजा रखना लाजमी है। ये चीजे सिर्फ तौबा और दुआ कर लेने से माफ नहीं होती तथा नफ्ल रोजे रखने के बजाए जरूरी रोजे रखकर जिम्मेदारी से बाहर आना चाहिए। हदीस में है जिसने रमजान के रोजे रखे और उसके बाद छह नफ्ल रोजे शव्वाल (ईद) के महीने में रख लिये तो पूरे साल के रोजे रखने का सवाब मिलता है। अगर ऐसा करेगा तो गौया इस ने सारी उम्र के रोजे रखे। यह छह रोजे माहे शव्वाल (ईद) में कभी भी रख सकते हैं, लगातार भी और फासलों से भी।
-मो. जाकिर नोमानी, मुफ्ती ए शहर
रोजा इफ्तार और सहरी का वक्त
मुताबिक इफ्तार सहरी
शुक्रवार शनिवार
मुफ्ती-ए-शहर 7.12 बजे 4.07 बजे
जामा मस्जिद 7.14 बजे 3.57 बजे
दारुल उलूम रजविया 7.11 बजे 4.04 बजे
शिया इस्ना अशरी 7.26 बजे 3.57 बजे
Published on:
22 May 2020 10:27 am
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