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क्या आप जानते हैं…! पानी की बोतलों से बनते हैं हमारे जींस व जैकेट..

देश में फेंका गया 75 फीसदी पीईटी प्लास्टिक हो रहा रिसाइकिल, हर आदमी एक साल में 8 किलो प्लास्टिक का करता है उपयोग

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Nidhi Mishra

Feb 23, 2016

देश में प्लास्टिक की रिसाइकिलिंग इंडस्ट्री तेजी से विकसित हो रही है। कचरे में फेंका गया आधे से अधिक प्लास्टिक रिसाइकिल हो रहा है, विशेषकर पीईटी (पॉली एथिलिन टेरेफ्थेलेट) प्लास्टिक। पीईटी में पानी की बोतलें, कोल्ड ड्रिंक्स बोतल, जार, प्लास्टिक ग्लासें, कॉस्मेटिक आइटम का पैकेजिंग प्लास्टिक शामिल है।

फेंके गए 75 फीसदी पीईटी प्लास्टिक को रिसाइकिल कर उसे पॉलीएस्टर में बदला जाता है, जिससे जींस, शर्ट, जैकेट, बेल्ट, गद्दे, तकिया बनाए जाते हैं। क्रिकेट के खिलाडि़यों की पहनने वाली जर्सी भी रिसाइकिल पीईटी से ही बनी होती है। केन्द्रीय प्लास्टिक इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नोलॉजी (सीपेट) चेन्नई की ओर से सोमवार को यहां एक निजी होटल में 'प्लास्टिक के सकारात्मक गुण और इसका अपशिष्ट प्रबंधन' पर आयोजित तकनीकी सेमिनार में यह बात संस्था के निदेशक (बिजनेस डवलपमेंट) एस इलेगोवन ने कही।

उन्होंने कहा कि प्लास्टिक शत-प्रतिशत रिसाइकिल हो सकता है। उपयोग में आने वाला 48 फीसदी पैकेजिंग प्लास्टिक होता है। पूरे विश्व में रिसाइकिल उद्योग अगले कुछ सालों में 26 अरब डॉलर को पार कर जाएगा।

सर्वाधिक पीईटी होता है रिसाइकिल
उन्होंने बताया कि प्लास्टिक कई प्रकार के होते हैं। इसमें पीईटी, पॉलीप्रोपेलिन, पॉलीविनाइल क्लोराइड, पॉलीस्टाइरिन, लॉ डेनसिटी पॉलीएथिलिन और हाई डेनसिटी पॉलीएथिलिन शामिल है। इन सबमें पीईटी प्लास्टिक का सर्वाधिक रिसाइकिल होता है। नब्बे फीसदी पीईटी प्लास्टिक खाद्य पदार्थों की पैकेजिंग के उपयोग में लिया जाता है। लोगों द्वारा कचरे में फेंका गया 75 फीसदी पीईटी प्लास्टिक रिसाइकिल होकर वापस बाजार में आ जाता है।

स्कूली बच्चों ने भाग लिया
तकनीकी सेमिनार के मुख्य अतिथि पार्षद राजेश बागरेचा थे। सेमिनार को नगर निगम के उपायुक्त देवाराम सुथार, सीपेट के जयपुर दफ्तर के मुख्य प्रबंधक ललित गुगलानी, एचआरए ई-वेस्ट के निदेशक शशि भूषण, ट्रेट्रा पैक के प्रवीण मलिक, जयपुर स्थित जेके लक्ष्मीपत्त विवि के डॉ. शिशिर चंद्र भण्डुरी और राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के आरके बोहरा ने संबोधित किया। सेमिनार में कई स्कूलों के बच्चे शामिल हुए।

इसलिए होती है परेशानी
इलेगोवन ने राजस्थान पत्रिका से बातचीत में बताया कि प्लास्टिक तौल के आधार पर खरीदा व बेचा जाता है। वर्तमान में इसकी कीमत 120 से 150 रुपए प्रति किलो है। कूड़े-करकट से प्राप्त द्वितीयक प्लास्टिक 60 से 80 रुपए किलो में मिलता है। प्लास्टिक की थैलियों का वजन बहुत कम होता है। एेसे में इन्हें इकठ्ठा कर बेचने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है, जिस कारण प्लास्टिक की थैलियों को एकत्रित करने में बहुत कम रुचि दिखाई देती है, जबकि पानी व सॉफ्ट ड्रिंक की बोतलें कूड़े-करकट में दिखाई नहीं देती।

प्लास्टिक के बारे में फैक्ट
- वर्तमान में देश में हर व्यक्ति प्रतिवर्ष 8 किलो प्लास्टिक का उपयोग कर रहा है।
- 2020 तक प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष उपभोग 20 किलो हो जाएगा।
- सामान्यत: 5 ग्राम प्लास्टिक की कीमत 50 पैसा होता है।
- भारत विश्व में पीईटी प्लास्टिक का चीन के बाद दूसरा उपभोगकर्ता है।
- भारत में हर साल 5.2 मिलियन टन पीईटी उपयोग में होता है।
- 600 किलो टन पीईटी से बोतलें और जार बनते हैं।
-2880 किलो टन पीईटी रिसाइकिल होता है।
- चिप्स और बिस्किट का पाउच रिसाइकिल नहीं होता है, क्योंकि उसमें एल्यूमिनियम होता है।