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राजस्थान में यहां भरता है ऐसा अनोखा मेला, जहां बिकते हैं ‘सेलिब्रिटी’

donkey fair -भावगढ़ बंध्या में श्रीखलखाणी माता गदर्भ मेला शुरू-गधों, घोड़ों व खच्चरों का ही होता है व्यापार-500 रुपए से लेकर 15 हजार तक गधे उपलब्ध-घोड़ों की कीमत 10 हजार से तीन लाख तक

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जयपुर

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Savita Vyas

Oct 05, 2019

जयपुर। donkey fair : राजधानी जयपुर के निकट स्थित गांव भावगढ़ बंध्या में लगने वाले श्री खलखाणी माता के गधे मेले की अपनी अनूठी ही विशेषता है। गदर्भ मेला अथवा ***** मेला के नाम से पहचाना जाने वाला यह मेला गधों के लिए ही आयोजित किया जाता है। मेले में दूर-दराज के गांवों सहित प्रदेशभर से लोग भाग लेने के लिए आते हैं। मेले में केवल गधों, घोड़ों व खच्चरों का ही व्यापार होता है। मेले में इस बार करीब 200 गधे और 500 से अधिक घोड़े—घोड़ी पहुंच चुके हैं। गधों की कीमत 500 से 15000 तक है। वहीं घोड़ों की कीमत 10 हजार से तीन लाख रुपए तक है। रोचक बात यह है कि लालू, हेमा और करिश्मा जैसे गधों के नाम है।

आपको बता दें जयपुर नगर निगम और खलखाणी माता मानव सेवा संस्थान के सामूहिक सहयोग से प्रतिवर्ष मेला आयोजित किया जाता है। मेले के पहले दिन आज उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता ठाकुर उम्मेद सिंह राजावत करेंगे। कार्यक्रम का समापन सोमवार को सांस्कृतिक समारोह और पारितोषिक वितरण कार्यक्रम के साथ होगा। इसके तहत श्रेष्ठ नस्ल के पशु लाने वाले, सर्वाधिक पशु लाने वाले और सबसे सुंदर पशु सजाने वाले पशुपालकों को पुरस्कृत किया जाएगा। मेले में नगर निगम की ओर से सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। समिति के भगवत सिंह राजावत ने बताया कि मेले में सजे-धजे गधे भी नजर आएंगे। इसके अलावा रंगारंग कार्यक्रम भी आयोजित होंगे। इनमें पशुपालकों के साथ ही स्थानीय कलाकार भी भाग लेंगे। मेले के दौरान हाट बाजार भी लगेगा, जिसमें करीब दस से भी अधिक स्टॉल्स सजाई गई हैं। स्टॉल्स पर गधों और घोड़ों से संबंधित विभिन्न उत्पाद प्रदर्शित होंगे। साथ ही रोजमर्रा में काम आने वाले तथा सजावटी उत्पाद भी प्रदर्शित होंगे।


मेले में सबसे दिलचस्प मेले का उद्घाटन व समापन समारोह होता है। मेले को लेकर उद्घाटन समारोह में बतौर अतिथि शिरकत करने के लिए कोई भी मंत्री, विधायक या अधिकारी सहजता से तैयार नहीं होते हैं। ऐसा अंधविश्वास है कि जो नेता मेले के उद्घाटन समारोह में शामिल होता है, वह दोबारा चुनाव नहीं जीत पाता है। मेले के इतिहास को लेकर इतिहासकारों के अपने मत हैं। इस मेले का जिक्र पौराणिक काल में भी किया गया है।