
विष्णुकांत। फोटो: पत्रिका
जयपुर। रिश्वत मांगने के एक और बहुचर्चित मामले में पुलिस महानिरीक्षक (आइजी) को क्लीनचिट मिल गई है। आरपीएस अधिकारी दिव्या मित्तल को सरकार ने क्लीनचिट दी, वहीं आइजी विष्णुकांत के मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने एफआर लगा दी। मामला उस समय का है जब विष्णुकांत एसीबी डीआइजी थे।
मामला अभी कोर्ट में है। कोर्ट ने साक्ष्यों के आधार पर एसीबी को एफआइआर दर्ज करने का आदेश दिया। लेकिन अब एसीबी ने साक्ष्य नहीं होने की बात कही है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि एफआर का निर्णय लेने से पहले एसीबी अधिकारियों ने परिवादी की ओर से पेश सबूतों की एफएसएल जांच क्यों नहीं कराई?
विष्णुकांत के खिलाफ ऑडियो-वीडियो व केस से हैड कांस्टेबल का नाम हटाने के लिए रिश्वत लेने के मामले में एसआइ सत्यपाल पारीक ने एसीबी को शिकायत दी थी, लेकिन एसीबी ने मामला दर्ज नहीं किया। पारीक के कोर्ट पहुंचने के बाद एसीबी ने मई 2024 में एफआइआर दर्ज की। हालांकि इस बीच तत्कालीन डीआइजी विष्णुकांत को एसीबी से हटाकर होमगार्ड में भेज दिया। उन्हें पदोन्नति के बाद होमगार्ड में आइजी लगाया गया। वर्तमान में वे पुलिस मुख्यालय में है।
पड़ताल में सामने आया कि एसीबी ने वर्ष 2021 में जवाहर सर्किल थाने में तैनात हैडकांस्टेबल सरदार सिंह और कांस्टेबल लोकेश कुमार शर्मा को रिश्वत लेते गिरफ्तार किया। आरोप था कि हैडकांस्टेबल का केस से नाम हटाने के लिए विष्णुकांत ने अपने गनमैन प्रताप सिंह के माध्यम से 10 लाख रुपए की घूस मांगी। बताया जाता है एसीबी डीजी के नाम से रिश्वत ली गई। इसके बाद 9.50 लाख रुपए का लेनदेन हो गया। केस से सरदार सिंह का नाम निकाल दिया और लोकेश को आरोपी मानकर फाइल आगे बढ़ा दी।
जांच अधिकारी उप अधीक्षक सुरेश कुमार स्वामी ने लोकेश के खिलाफ चालान पेश कर दिया, वहीं सरदार सिंह का नाम हटाने की अनुशंषा की। तत्कालीन डीआइजी विष्णुकांत ने उप निदेशक अभियोजन से राय मांगी, जिन्होंने सरदार सिंह की संलिप्तता होने और जांच अधिकारी से विचार विमर्श कर निर्णय लेने की अनुशंसा की। डीआइजी विष्णुकांत ने अनुसंधान अधिकारी से सहमति जताते हुए सरदार सिंह के खिलाफ अपराध प्रमाणित नहीं माना और उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा कर इतिश्री कर ली।
Published on:
26 Dec 2025 10:35 am
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