दहकती गर्मी, बिजली कटौती की मार, सूख रही खेती
मोरीजा. सच में प्रकृति का संरक्षण आम जनजीवन के लिए कितना महत्वपूर्ण है? अब महसूस होने लगा है। प्राकृतिक संसाधनों की अनदेखी करने वाले मनुष्य की हठधर्मिता प्रकृति के इस रौद्र रूप के सामने बेबस नजर आने लगी है। एक तरफ राम ने रूठ कर प्रकृति के स्वरूप को ही बदलकर रख दिया है। वहीं दूसरी ओर मनुष्य को विज्ञान के नाम पर आधुनिकता के आकर्षण के दुष्परिणामों का आईना भी दिखा दिया है। जहां राम रुठा वहां राज ने भी हाथ पसार दिए हैं और जनता को स्वयं के हाल पर छोड़ कर अपनी लाचारी दिखा दी है। अक्सर मई-जून में पडऩे वाली गर्मी ने मार्च माह में ही अपना सितम ढहाना शुरू कर दिया था। भीषण गर्मी के इस रौद्र रूप को देखकर आम आदमी ने सरकार से अपेक्षाएं बांधी थी, लेकिन सरकार ने भी बिजली कटौती कर आम आदमी को हाथ पर हाथ धरकर बैठने को मजबूर कर दिया है। इस भीषण गर्मी में फसलों के लिए किसानों को जहां पर्याप्त बिजली की आपूर्ति होनी चाहिए थी, वहां किसानों को अभी केवल 4 घंटे की बिजली आपूर्ति की जा रही है।उसमें भी यह 4 घंटे की बिजली आपूर्ति बिजली चालू करने व बंद करने की प्रक्रिया में 10-15 मिनट ऊपर नीचे कर दी जाती है।
मोरीजा. सच में प्रकृति का संरक्षण आम जनजीवन के लिए कितना महत्वपूर्ण है? अब महसूस होने लगा है। प्राकृतिक संसाधनों की अनदेखी करने वाले मनुष्य की हठधर्मिता प्रकृति के इस रौद्र रूप के सामने बेबस नजर आने लगी है। एक तरफ राम ने रूठ कर प्रकृति के स्वरूप को ही बदलकर रख दिया है। वहीं दूसरी ओर मनुष्य को विज्ञान के नाम पर आधुनिकता के आकर्षण के दुष्परिणामों का आईना भी दिखा दिया है। जहां राम रुठा वहां राज ने भी हाथ पसार दिए हैं और जनता को स्वयं के हाल पर छोड़ कर अपनी लाचारी दिखा दी है। अक्सर मई-जून में पडऩे वाली गर्मी ने मार्च माह में ही अपना सितम ढहाना शुरू कर दिया था। भीषण गर्मी के इस रौद्र रूप को देखकर आम आदमी ने सरकार से अपेक्षाएं बांधी थी, लेकिन सरकार ने भी बिजली कटौती कर आम आदमी को हाथ पर हाथ धरकर बैठने को मजबूर कर दिया है। इस भीषण गर्मी में फसलों के लिए किसानों को जहां पर्याप्त बिजली की आपूर्ति होनी चाहिए थी, वहां किसानों को अभी केवल 4 घंटे की बिजली आपूर्ति की जा रही है।उसमें भी यह 4 घंटे की बिजली आपूर्ति बिजली चालू करने व बंद करने की प्रक्रिया में 10-15 मिनट ऊपर नीचे कर दी जाती है।
पशुओं को भी राहत के लिए जतन
जैतपुर खींची. अंचल में दिन में तापमान के बढऩे के बाद रात का तापमान बढऩे से आमजन बेहाल रहा। रात्रि को बढ़े तापमान से ग्रामीणों के पसीने छूटने लगे हैं। ऐसे में आमजन के साथ पशु-पक्षी भी गर्मी से बेहाल हो रहे हैं। घोड़ी वाला अपने घोड़ी को गर्मी से निजात दिलाने के लिए उसे पानी से नहलाने में जुटे हुए दिखे।
जैतपुर खींची. अंचल में दिन में तापमान के बढऩे के बाद रात का तापमान बढऩे से आमजन बेहाल रहा। रात्रि को बढ़े तापमान से ग्रामीणों के पसीने छूटने लगे हैं। ऐसे में आमजन के साथ पशु-पक्षी भी गर्मी से बेहाल हो रहे हैं। घोड़ी वाला अपने घोड़ी को गर्मी से निजात दिलाने के लिए उसे पानी से नहलाने में जुटे हुए दिखे।
