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पेंशन के लिए भटक रहे बौना दम्पति

नहीं मिल रही पेंशन

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wandering for pension

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जयपुर। भले ही केन्द्र सरकार ने राइट टू पर्सन्स विथ डिसेबिलिटी एक्ट 2016 बना दिया हो, लेकिन पेंशन के लिए लोगों को चक्कर काटने पड़ रहे हैं। ऐसा ही कुछ हाल रामनगर सोडाला निवासी दम्पति का है। दम्पति दोनों बौने है। भागीरथ प्रसाद सैनी ने बताया कि उसकी हाइट 4 फीट आठ इंच है। उसकी पत्नी मैना देवी की हाइट 4 फीट 2 इंच है। उन्होंने मेडिकल भी करवाया है। साथ ही पेंशन के लिए पंजीकृत भी करवाया है, लेकिन उसके बाद भी पेंशन शुरू नहीं की गई। सरकार ने बौनापन का मापदण्ड अब 4.10 फीट रखा है। इसके तहत इस हाइट से कम व्यक्ति को बौना मानते हुए दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम का फायदा देते हुए योजनाओं से लाभान्वित किया जाएगा। सरकार ने अब नि:शक्तजन श्रेणी में इजाफा किया है।

पहले थी 3.6 फीट की लम्बाई
राइट टू पर्सन्स विथ डिसेबिलिटी एक्ट 2016 के तहत पहली बार बौनापन को विकलांगता में माना है। पहले जहां 3.6 फीट की लम्बाई से कम हाइट वाले को बौनापन माना जाता था। एक्ट लागू होने के बाद अब बौनापन का मापदण्ड अब 4.10 फीट रखा है। इस एक्ट में पहली बार रक्त रोग जैसे थैलेसीमिया, हीमोफीलिया व स्किल सेल एनीमिया को विकलांगता माना गया है। साथ ही स्पीच एंड लैंग्वेज डिसेबिलिटी, एसिड अटैक और बौनेपन को भी पहली बार विकलांगता की श्रेणी में रखा गया है। कुल 21 श्रेणियों को विकलांगता माना गया है। इनमें से जो भी व्यक्ति 40 प्रतिशत से अधिक विकलांग पाया जाएगा, उसे सरकारी नौकरियों में आरक्षण का लाभ मिलेगा।

शिविर में करवाया था पंजीकृत
भागीरथ ने बताया कि पिछले वर्ष सरकार की ओर से 14 सितम्बर को विशेष शिविर का आयोजन किया गया था। जहां उसने पेंशन के लिए पंजीकृत करवाया था। उसने पेंशन शुरू करने को लेकर निदेशालय विशेष योग्यजन राजस्थान में जाकर भी गुहार की। साथ ही पार्षद, विधायक से लेकर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अरूण चतुर्वेदी से भी गुहार की, लेकिन फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।