
जयपुर। राजस्थान में कई अभयारण्य क्षेत्रों का ’नक्शा’ बदलकर (अलाइनमेंट में बदलाव) होटल मालिकों, माइंस संचालकों को फायदा पहुंचाने का खेल चल रहा है। इसमें अलवर का सरिस्का और जयपुर में नाहरगढ़ वन अभयारण्य मुख्य रूप से शामिल है।
सरिस्का में टाइगर हैबिटेट (सीटीएच) का 6 हजार हेक्टेयर इलाका बढ़ाने की कवायद हो रही है। चर्चा है कि टाइगर रिजर्व के नजदीक टहला में बंद पड़ी माइंस और होटलों को दोबारा शुरू कराने के लिए रास्ता तलाशा जा रहा है। इसके लिए टहला की तरफ के एरिया को कम करके दूसरी और के हिस्से को रिजर्व एरिया में जोड़ने की कवायद है।
जबकि, सुप्रीम कोर्ट की मंशा टाइगर रिजर्व को संरक्षित करना है, लेकिन अफसर इस आदेश की आड़ में चहेतों को फायदा देने की गली तलाश रहे हैं। वहीं, नाहरगढ़ वन अभयारण्य के 12 हजार हेक्टेयर एरिया की सीमा बदलकर कई होटलों को बचाने की गली तलाश रहे हैं। गुपचुप तरीके से हलचल शुरू हो गई है। जिम्मेदार अपनी ’जेब’ भरने की जुगत में सफल हुए तो वन्य जीवों के साथ पर्यावरण संरक्षण से खिलवाड़ होने की प्रबल आशंका बनेगी।
1. सरिस्का अभयारण्य: कुल क्षेत्रफल करीब 1213 वर्ग किलोमीटर है। इसमें सीटीएच 881 वर्ग किलोमीटर है। सुप्रीम कोर्ट की सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी ने पहले ही साफ कर दिया है कि किसी भी कीमत पर सीटीएच एरिया को कम नहीं किया जा सकता है। यह करीब 6 हजार हेक्टेयर बढ़ाया जा सकता है। इसकी आड़ में गली निकाली जा रही है कि सरिस्का से जुड़े आसपास के क्षेत्र को शामिल करके होटल व अन्य व्यावसायिक गतिविधियों को बचाया जा सके। सीटीएच में राजगढ़ व अलवर बफर वन मंडल का जंगल शामिल करके इसका दायरा बढ़ाया जा सकता है। हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि बाघ लगातार जंगल से बाहर आ रहे हैं। ऐसे में सीटीएच में सरिस्का से सटे ऐसे इलाके को इसमें शामिल किया जाएगा।
सीटीएच के एक किमी दायरे में आ रही 92 खानों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मई, 2024 में बंद कर दिया था। यह खानें बलदेवगढ़, दुंदपुरी, खोह, तिलवाड़, पालपुर, अजबगढ़, कलसीकलां में हैं। ये मार्बल खानें बंद होने से माइंस और मिनरल्स से जुड़े करीब 500 उद्योगों पर इसका सीधा प्रभाव पड़ा। इन उद्योगों की जमीन की रीसेल वैल्यू भी 13 हजार से घटकर 9 से 9500 रुपए प्रति वर्गमीटर रह गई है।
2. नाहरगढ़ अभयारण्य: अभयारण्य को लेकर दो अधिसूचनाएं हैं। सितंबर 1980 को पहली और मार्च 2019 को दूसरी जारी की। 1980 में अभयारण्य की सीमा को स्पष्ट परिभाषित किया गया, जबकि 2019 में ईको सेंसिटिव जोन को निर्धारित किया गया। अफसर तर्क दे रहे हैं कि दोनों अधिसूचनाओं से सीमा स्पष्ट नहीं हो रही थी और कोर्ट में अलग तरह के जवाब जा रहे थे। इस स्थिति को टालने के क्षेत्र के 12 हजार हेक्टेयर भूमि के नक्शे में संशोधन की प्रक्रिया शुरू की गई है।
सुप्रीम कोर्ट समय-समय पर आदेश देता रहा है कि किसी को फायदा देने के लिए अभयारण्य और संरक्षित क्षेत्र प्रभावित नहीं होना चाहिए। जो माइंस, होटल व अन्य कॉमर्शियल गतिविधियां संचालित हो रही हैं, वे इको सेंसेटिव जोन से बाहर हों। इसके बावजूद सरिस्का, नाहरगढ़ क्षेत्र में इनका संचालन जारी है। सरकारों में जिम्मेदार इन्हें नोटिस जारी कर अपने बचाव की असफल कोशिश में जुटे हैं। ऐसे जिम्मेदारों पर भी एक्शन हो तो बात बने।
-रतन विलास सरिस्का रिसॉर्ट ताज ग्रुप
-मेधावन रिसॉर्ट
-नमन बाग देसी ठाठ
-द जंगल लेप
-राजस्थान होटलएंड रेस्टोरेंट
-रामबिहारी पैलेस होटल
-बाबा होटल
-सासू की ढाणी
-गुप्ता झील रेस्टोरेंट
-आरटीडीसी होटल
-नीलकमल झील रेस्टोरेंट
-अमन बाग रिसॉर्ट
-होटल राज रिसॉर्ट
-सूर्य बाग रिसॉर्ट
-द रॉयल कल्याण पैलेस भानगढ़
-चौखीबाड़ी रिसॉर्ट
-सफारी रेस्टोरेंट भानगढ़
-लाल बाग पैलेस
-भानगढ़ ड्रीमर्स वाटर पार्क
-होटल वाशु भानगढ़
-भानगढ़ के बाहर पार्किंग
-भानगढ़ फूड प्लाजा
-अस्त्रोपोर्ट सरिस्का होटल
-वन छवि रिसॉर्ट
-वंशवन लग्जरी एडवेंचर्स सोल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड
-जंगल कैंप
-कस्बा अविलेज रिसॉर्ट
-गुलदार सरिस्का वन्यश्री हास्पिटिलिटी
-होटल नीलकंठ प्राइम रिट्रिट
-उत्सव कैंप
-होटल कुत्यानी बाग सरिस्का
-होटल चैलेट
-ग्रीन वैली सरिस्का
-होटल लिटिल अफेयर
-अलमपट नेस्ट
-सरिस्का होटल मैनोर
-दा वनश्व
-वनाश्रय
-दा बीहड़ सरिस्का
-मातोश्री ग्रीन स्टे
सीटीएच में कमी नहीं हो सकती, दायरा बढ़ाने को लेकर विचार चल रहा है। इससे होटलों को राहत मिलने की बात बिल्कुल नहीं है। इसमें जंगल का वह एरिया बढ़ेगा जिसमें टाइगर अपना घर बनाते हैं।
-संग्राम सिंह, क्षेत्र निदेशक, सरिस्का
Published on:
12 Mar 2025 08:02 am
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