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Jaipur: चहेतों को फायदे के लिए जंगल से खिलवाड़, नाहरगढ़ वन अभयारण्य की सीमाओं को गुपचुप बदलने की तैयारी

Nahargarh Forest Sanctuary: जयपुर शहर के आस-पास के ऑक्सीजोन को सरकार खत्म करने और चहेतों को फायदा देने की तैयारी में है। यदि सरकार की योजना सफल हुई तो नाहरगढ़ ईको सेंसिटिव जोन का नक्शा ही बदल जाएगा।

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Nahargarh Forest Sanctuary: जयपुर शहर के आस-पास के ऑक्सीजोन को सरकार खत्म करने और चहेतों को फायदा देने की तैयारी में है। यदि सरकार की योजना सफल हुई तो नाहरगढ़ ईको सेंसिटिव जोन का नक्शा ही बदल जाएगा। जो वन और वन्य जीवों के साथ-साथ शहरवासियों के लिए भी नुकसानदायक होगा। सूत्रों की मानें तो होटल इंडस्ट्री को फायदा देने के लिए सरकार इस तरह का निर्णय लेने पर आमादा है। वन विभाग ने सीमा संशोधन को लेकर सर्वे भी शुरू कर दिया है।

दरअसल, नाहरगढ़ ईको सेंसिटिव जोन से प्रभावित जयपुर में कई होटल और रिसॉर्ट हैं। पर्यावरणविद् का दावा है कि सरकार इनको बचाना चाहती है और इसी वजह से सीमाओं में परिवर्तन करने की तैयारी चल रही है। जबकि, वन विभाग को अभयारण्य की सीमाओं में बदलाव का अधिकार ही नहीं है। सीमा का बदलाव केन्द्रीय पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ही कर सकता है।

निकाल लिया बदलाव का रास्ता

बीते वर्ष वन विभाग ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक और मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक की अध्यक्षता में बैठक हुई। जिसमें निर्णय लिया गया कि नक्शे की सीमाओं में असमानता के कारण न्यायालय में कई वाद विचाराधीन हैं। न्यायालयों में अलग-अलग जवाब देने की स्थिति को रोकने के लिए यह निर्णय लिया गया। इस बैठक में तय हुआ कि अभयारण्य का नक्शा 22 सितंबर 1980 की अधिसूचना के आधार पर दोबारा तैयार किया जाएगा।

डीएफओ विजयपाल सिंह से सवाल-जवाब

Q. दुबारा सीमांकन की जरूरत क्यों पड़ी ?
जवाब:
नक्शे की सीमाओं में असमानता के कारण ऐसा किया जा रहा है। इस वजह से कई मामले न्यायालय में चल रहे हैं।

Q. होटल लॉबी को फायदा पहुंचाने के लिए यह बदलाव किया जा रहा है ?
जवाब:
ऐसा नहीं है। कई जगह सीमा गांव के अंदर तक है। सीमा से सटे कई गांव इससे बाहर हैं। इस तरह की कई दिक्कतें है। जिससे विवाद हो रहे हैं। ये सब देखते हुए ऐसा किया जा रहा है। इसमें किसी को फायदे जैसी कोई बात नहीं।

Q. पारदर्शिता पर भी सवाल उठ रहे हैं ?
जवाब:
इस काम में पूरी पारदर्शिता रखी जाएगी। गजट नोटिफिकेशन के अनुसार सर्वे का काम शुरू किया गया है। जैसे यह काम पूरा होगा उसके बाद आगे का काम होगा। यह तय है कि, इसमें सब कुछ स्पष्ट रहेगा।

बचाव की भी गली

वन विभाग अधिकारियों का कहना है कि अभयारण्य को लेकर दो अधिसूचनाएं हैं। सितंबर 1980 को पहली और मार्च 2019 को दूसरी जारी की। 1980 में अभयारण्य की सीमा को स्पष्ट परिभाषित किया गया, जबकि 2019 में ईको सेंसिटिव जोन को निर्धारित किया गया। दोनों अधिसूचनाओं से सीमा स्पष्ट नहीं हो रही थी और कोर्ट में अलग तरह के जवाब जा रहे थे। इस स्थिति को टालने के क्षेत्र के 12 हजार हेक्टेयर भूमि के नक्शे में संशोधन की प्रक्रिया शुरू की गई है।

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