
निजीकरण और राजनीतिक आधार पर तबादलों के विरोध में उतरे बिजली कर्मचारी
जयपुर। बिजली कंपनियों में निजीकरण को बढ़ावा देने, कोयला प्रबंधन में फेल होने से गहराए बिजली संकट और कर्मचारी का मनमाने तरीके से तबादला करने को बंद करने सहित अन्य मांगों को लेकर बिजली कर्मचारी अब प्रशासन के सामने हो गए हैं। भारतीय मजदूर संघ से जुड़े राजस्थान विद्युत श्रमिक महासंघ के बैनर तले प्रदेश के पांचों विद्युत निगम से जुड़े महासंघ कर्मचारियों ने बुधवार को विद्युत भवन में प्रदर्शन किया और फिर ऊर्जा सचिव से मिलकर विरोध दर्ज कराया। विद्युत भवन परिसर में कर्मचारी जुटे और 28 सूत्री मांग पत्र को लेकर धरना दिया और ऊर्जा सचिव दिनेश कुमार को ज्ञापन सौंपा। कर्मचारियों का कहना है कि प्रदेश सरकार बिजली कंपनियों का पूर्ण रूप से निजीकरण करने पर आमादा है। आरोप लगाया कि इस निजीकरण के आड़ में कमीशन का खेल चल रहा है।
कोयला और बिजली संकट का मामला भी गरमाया
इस बीच ऊर्जा सचिव से कोयला प्रबंधन में फेल होने से प्रदेश में गहराई बिजली संकट में भी बातचीत हुई। महासंघ ने इसके लिए जिम्मेदारी तय करने की भी मांग की। इस पर उर्जा सचिव दिनेश कुमार ने कहा की कोयला का मामला केंद्र का भी विषय है, इसलिए आप वहां भी दबाव डालें कि वे ज्यादा से ज्यादा कोयले की रैक राजस्थान के बिजलीघरों में पहुंचाए।
तबादलों को लेकर क्रमिक भूख हड़ताल की चेतावनी
महासंघ के प्रदेश महामंत्री विजय सिंह वाघेला ने कहा कि राजनीतिक व्यवस्था के कारण हो रहे स्थानांतरण पर रोक लगाने की मांग की है। इस संबंध में महासंघ पदाधिकारियों से बैठक कर समस्या के समाधान की जरूरी जताई। साथ ही चेतावनी दे दी कि यदि इसके बाद भी वार्ता नहीं की गई तो 20 सितंबर से विद्युत भवन के बाहर क्रमिक भूख हड़ताल शुरू की जाएगी।
Published on:
08 Sept 2021 09:04 pm
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