जयपुर

पर्यावरण प्रेमी हरियाली बचाने में जुटे, रीको बना रहा 133 करोड़ का यूनिटी मॉल

रीको की टोंक रोड, तरुछाया नगर के पास 38 हेक्टेयर जमीन (डोल का बाढ़) पर प्रस्तावित यूनिटी मॉल एवं अन्य प्रोजेक्ट ने पर्यावरण प्रेमियों की चिंता बढ़ा दी है। इनके लगातार विरोध के बीच रीको ने यहां 133 करोड़ की लागत से यूनिटी मॉडल की प्लानिंग कर निर्माण शुरू करने की तैयारी कर ली है। […]

2 min read
Apr 23, 2025

रीको की टोंक रोड, तरुछाया नगर के पास 38 हेक्टेयर जमीन (डोल का बाढ़) पर प्रस्तावित यूनिटी मॉल एवं अन्य प्रोजेक्ट ने पर्यावरण प्रेमियों की चिंता बढ़ा दी है। इनके लगातार विरोध के बीच रीको ने यहां 133 करोड़ की लागत से यूनिटी मॉडल की प्लानिंग कर निर्माण शुरू करने की तैयारी कर ली है। पिछली कांग्रेस सरकार के समय चल रहा पर्यावरण प्रेमियों का आंदोलन अब तेज हो गया। रीको की इस जमीन पर छोटे-बडे करीब दो हजार पेड़ हैं। इनमें कई तरह की वनस्पति होने का दावा भी किया जा रहा है। पक्षियों का डेरा लगा रहता है। इन स्थितियों का हवाला देते हुए पर्यावरण प्रेमी राज्य सरकार से इसे सिटी वन क्षेत्र या इको-बायोडायवर्सिटी एंड क्लाइमेंट चेंज अवेयरनेस पार्क घाेषित करने की मांग कर रहे हैं। हालांकि, रीको, उद्योग विभाग की तरफ से फिलहाल इस दिशा में किसी तरह पहल नहीं की गई है। पिछली सरकार में यहां फिनटेक पार्क की घोषणा की गई थी। मौजूदा भाजपा सरकार जमीन के करीब 20 हजार वर्गमीटर हिस्से में यूनिटी मॉल (पीएम एकता मॉल) बना रही है। इसके लिए कंपनी को कार्यादेश भी जारी किया जा चुका है। भूतल के अलावा तीन मंजिल में निर्माण किया जाएगा। यहां हर जिले का प्रमुख उत्पाद का प्रदर्शन होगा।

हर बार आंदाेलनकर्मी रुकवाते

आंदोलनकर्मी 'डोल का बाढ़' बचाओ अभियान के तहत हरियाली क्षेत्र को बचाने में जुटे हैं। रीको यहां कई बार जेसीबी मशीन भेजकर खुदाई व अन्य कार्य शुरू करा चुका है, लेकिन हर बार आंदाेलनकर्मी हरियाली को उजड़ने से बचाने के लिए इसे रुकवाते आए हैं। पूर्व केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी से लेकर सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर तक इस मुहिम में जुड़ी हैं।

प्रति व्यक्ति 9 वर्गमीटर ग्रीन एरिया की जरूरत..

पर्यावरण प्रेमियों का दावा है कि नेशनल ग्रीन गाइडलाइन के अनुसार प्रति व्यक्ति 9 वर्गमीटर तक ग्रीन एरिया होना चाहिए, लेकिन शहर में यह सिर्फ 2.25 वर्गमीटर ही है। ऐसे में सरकार को ऐसे हरियाली से आच्छादित क्षेत्र को बचाना चाहिए।

रीको का यह तर्क

यह जमीन रीको स्वामित्व की है। वर्ष 1988 में यह औद्योगिक इकाई के लिए लीज पर दी गई थी, लेकिन लीज शर्तों की पालना नहीं होने के कारण इसे रद्द कर दिया गया था। रीको अधिकारियों का तर्क है कि जमीन के भू-उपयोग के अनुरूप ही यहां गतिविधि संचालित की जाएगी और इसी आधार पर प्लानिंग की गई है। आंदोलनकर्मी कोर्ट तक गए, लेकिन रीको के पक्ष में फैसला आया है।

Published on:
23 Apr 2025 06:02 pm
Also Read
View All

अगली खबर