
Rajasthan Water Project : जयपुर। पूर्वी राजस्थान के 17 जिलों की प्यास बुझाने के लिए सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चंबल परियोजना (एकीकृत ईआरसीपी) अब केवल एक योजना नहीं, बल्कि पूर्वी राजस्थान के लिए जीवन रेखा बनती जा रही है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में यह परियोजना पारदर्शिता और समयबद्धता के साथ आगे बढ़ रही है, जिससे प्रदेश की जनता में नई ऊर्जा का संचार हो रहा है। वर्ष 2028 से पहले परियोजना के पूर्ण होने की उम्मीद जताई गई है। यदि ऐसा होता है, तो यह राजस्थान के इतिहास में जल प्रबंधन की सबसे बड़ी सफलता मानी जाएगी।
जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत ने बताया कि परियोजना के पैकेज 1 में कूल नदी पर किशनगंज तहसील में स्थित रामगढ़ बैराज और पार्वती नदी पर मांगरोल एवं किशनगंज तहसील में स्थित महलपुर बैराज के कार्यों के लिए भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही अंतिम चरण में है।
रावत ने बताया कि परियोजना के कार्यों के लिए 8 गांवों की लगभग 168 हेक्टेयर भूमि की अवाप्ति अंतिम चरण में है। मुआवजा राशि का भुगतान भी नियमानुसार शीघ्र कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि वन्य भूमि प्रत्यावर्तन के लिए लगभग 1700 हेक्टेयर गैर वन भूमि आरक्षित की जा चुकी है। डूब क्षेत्र में स्थित गांवों के पुनर्वास किए जाने के लिए कार्यवाही प्रगतिरत है। इसके लिए बारां तहसील के कोयला गांव में 34 हेक्टेयर भूमि आरक्षित की जा चुकी है।
जल संसाधन मंत्री ने बताया कि इन कार्यों को निश्चित समय सीमा में वर्ष 2028 से पूर्व ही पूर्ण कर लिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि रामगढ़ बैराज से 138 एमसीएफटी जल पेयजल के लिए एवं महलपुर बैराज से 266 एमसीएफटी जल पेयजल के लिए एवं 353 एमसीएफटी जल औद्योगिक सहित स्थानीय आवश्यकताओं के लिए आरक्षित है।
Published on:
14 Apr 2025 10:35 am
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