सुखेड़ा में छाया मातम
राजमाता की मौत से पूरे सुखेड़ा गांव में मातम छा गया है। सुत्रों के अनुसार, दीवार ढहने से मलबे में कई गाडिय़ां भी दब गईं जिन्हें जेसीबी से निकालने की कोशिश की जा रही है। हादसे के वक्त वे घर पर अकेली थीं। घटना की जानकारी उनके बेटे-बेटियों को दे गई है। सूचना मिलने पर वे रवाना हो गए है। मंगलवार सुबह पोस्टमार्टम के बाद अंतिम संस्कार किया जाएगा।
पुत्र रहते हैं उदयपुर में
राजमाता प्राचीन महल में अकेली रहती थी। उनके पुत्र ठाकुर गजेंद्रसिंह उदयपुर में रह रहे थे। महल में खाना बनाने वाली कमला बाई ने बताया कि उसका घर महल के मुख्य मार्ग के पास स्थित है। रात को अचानक धड़ाम की आवाज आई तो मैं समझी मेरा घर गिरने वाला है तो मैं बाहर आई। महल के पीछे का हिस्सा गिर गया था, उसमें ही राजमाता ज्योति कुंवर रह रही थी। वे भी इसमें दब गई। इसकी जानकारी ग्रामीणों को दी।
21 राजपूत ठिकानों का गढ़ है सुखेड़ा
सुखेड़ा आसपास के 21 राजपूत ठिकानों का गढ़ है। ज्योतिकुंवर डोडिया अकेलीं रहती थीं। सोमवार शाम घर का काम निपटाने के बाद कर्मचारी चले गए। प्राचीन महल सोमवार की रात करीब 8.20 बजे भरभरा कर गिर गया। पड़ोस में रहने वाली रानी की कर्मचारी कमलाबाई ने यह देख शोर मचाया और लोगों को सूचना दी।
लोगों ने मशक्कत कर निकाला मलबे से
लोगों ने एक घंटे की मशक्कत के बाद मलबा हटाकर पूर्व राजमाता ज्योतिकुंवर डोडिया को बाहर निकाला और 108 एम्बुलेंस से उन्हें प्राथमिक स्वास्थ केंद्र ले गए, जहां पर मौत की पुष्टि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के डॉक्टर आरसी वर्मा ने की। पूर्व राजमाता की डोल मंगलवार को निकाली जाएगी।