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डिजिटल एम्नेशिया मोबाइल पर निर्भरता याददाश्त कर रही कमजोर

क्या आपके साथ भी अक्सर ऐसा होता है कि आप जरुरी तारीखें या दिन भूल जाते हो ?या फिर रोजमर्रा की सामान्य चीजों को याद रखने के लिए भी मोबाइल फोन में लिखने की आवश्यकता पड़ रही है।

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डिजिटल एम्नेशिया मोबाइल पर निर्भरता याददाश्त कर रही कमजोर

डिजिटल एम्नेशिया मोबाइल पर निर्भरता याददाश्त कर रही कमजोर

क्या आपके साथ भी अक्सर ऐसा होता है कि आप जरुरी तारीखें या दिन भूल जाते हो ?या फिर रोजमर्रा की सामान्य चीजों को याद रखने के लिए भी मोबाइल फोन में लिखने की आवश्यकता पड़ रही है। लोग यह कह कर टाल देते है की याद नहीं रहा लेकिन ऐसा तब होता है जब व्यक्ति की डिजिटल यानी फोन पर अत्यधिक निर्भरता होती है। वे खुद से ज्यादा चीजें याद नहीं रख पाते है। तकनीक पर निर्भर रहना गलत नहीं है लेकिन अत्यधिक निर्भरता लोगों की याद रखने की क्षमता को कम कर रही है। इसे डिजिटल एमनेशिया कहा जाता है। कई लोग ऐसे भी सामने आ रहे है जो दिनचर्या में करने वाले कामों की सूचि भी फोन में बनाकर रखते है ताकि वे भूल नहीं जाएं। डिजिटल एमनेशिया गंभीर बीमारी नहीं है लेकिन फोन पर अत्यधिक निर्भरता से कम उम्र से ही व्यक्ति की याद रखने की क्षमता कम होने लगती है। जिसका असर सोचने की क्षमता पर भी पड़ता है।


यह कहती है रिपोर्ट , जरुरी मोबाइल नंबर भी नहीं रहते है याद

इंडियन जर्नल ऑफ मेंटल हेल्थ की एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले 5 वर्षों में हर 10 में से 8 व्यक्ति की मोबाइल फोन पर निर्भरता बढ़ गयी है। अध्ययन में 29 % लोगों ने यह बात स्वीकार की उन्हें जरूरी मोबाइल नंबर या घरवालों के नंबर भी याद नहीं रहते है। वहीँ 50 % लोग तथ्य याद रकने में कोई रुचि नहीं रखते है। वे केवल तथ्यों के स्त्रोत याद रखने में रुचि रखते है। कई लोगों ने यह भी स्वीकार किया है कि वे अपने लोगों के जन्मदिन ,वर्षगांठ को याद रखने के लिए भी फोन कैलेंडर में मार्क करते है।


तनाव ,स्ट्रेस ,डिप्रेशन से भी बढ़ रहा है डिजिटल एमनेशिया , शहर में भी बढ़ रहे है फॉर्गेटफुल मेमोरी के मामलें
आज के दौर में कई लोग मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं है। काम -काज का दबाव ,करियर स्ट्रेस ,पारिवारिक कलह और भी अन्य कई कारणों से लोगों में तनाव ,स्ट्रेस ,डिप्रेशन की समस्याएं बढ़ रही है। कारणवश लोगों में एकाग्रता कम हो रही है। उन्हें जरूरी और आवशयक बातें भी याद नहीं रहती है। ज्यादातर लोग मल्टीटास्किंग कर रहे है ,एक ही समय में उनका दिमाग कई जगहों पाकर उलझा हुआ रहता है। साथ ही तकनीकीकरण के कारण वे पूरी तरह मोबाइल पर निर्भर हो गए है। वे खुद से कुछ याद ही नहीं रखना चाहते है। बाहरी उपकरणों का इस्तेमाल गलत नहीं है लेकिन आज कल लोग छोटी से छोटी चीजों के लिए फोन पर निर्भर करते है जो मेमोरी पर बुरा असर डालता है।
डॉ आलोक त्यागी (सीनियर प्रोफेसर साइकियाट्री )

इस तरह के फॉर्गेटफुल मेमोरी के मामलें आ रहे है सामने

रिमाइंडर नहीं लगाने पर छुटी जरूरी मीटिंग

जोहरी बाजार 30 वर्षीय महिला निवासी ने बताया कि वे डिजिटल तकनीक पर इतनी निर्भर हो चुकी है कि उन्हें खुद से चीजें कम याद रहती है। ऑफिस में मिलने वाले रोज के सामान्य कार्यों को भी वे मोबाइल में लिखती है ताकि वे भूल नहीं जाएं। उन्होंने बताया कि वे एक बार फोन में रिमाइंडर लगाना भूल गयी थी और इस कारण उनकी जरूरी मीटिंग छूट गई।

रोजमर्रा के कार्यों को मोबाइल में करते है नोट
लाल कोठी 38 वर्षीय निवासी ने बताया कि वे रोजमर्रा के कार्यों को फोन में लिख कर रखते है। उन्होंने बताया कि एक बार उन्होंने फोन में नोट नहीं किया और उनका डॉक्टर के साथ अपॉइंटमेंट छूट गया। उन्हें डर रहता है कि वे कुछ भूल नहीं जाएं। वे बताते है कि उन्हें जरूरी मोबाइल नंबर भी याद नहीं है।

ऐसे करें यादाश को तेज
रोजाना शारीरक गतिविधियां करें ,माइंड गेम्स खेलें
फोन पर निर्भर कम रह कर खुद से बातों को याद रखने की कोशिश करें
भरपूर नींद लें
विचलित ना होकर एकाग्रता बढ़ाएं