
जयपुर। ऐसे बिल्डर जो फ्लैट की प्री-बुकिंग और मार्केटिंग किए बिना ही प्रोजेक्ट पूरा कर ले और संबंधित निकाय से कम्पलीशन सर्टिफिकेट ले लेता है तो उसे अब रेरा (रियल एस्टेट रेगूलेटरी अथॉरिटी) में रजिस्ट्रेशन कराने की जरूरत नहीं होगी। रेरा ने ऐसे प्रोजेक्ट्स को पंजीयन कराने की बंदिश से न केवल छूट दे दी, बल्कि उन्हें इसका सर्टिफिकेट भी देगा। रेरा चेयरमेन एन.सी. गोयल ने से सुओ मोटो केस में इस संबंध में आदेश दिया। ऐसे मामलों में प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद ही बुकिंग होगी। हालांकि, प्रोजेक्ट्स पर निगरानी और मॉनिटरिंग केवल स्थानीय निकाय के भरोसे रह जाएगी।
रेरा की बंदिश से छूट तो यह करना होगा
-बिल्डर को प्रोजेक्ट निर्माण पूरा होने (फिनिशिंग सहित) के बाद ही बुकिंग प्रक्रिया शुरू करनी होगी। यानी, आवास उसी स्थिति में बेच सकेगा, जब तक की रहने लायक स्थिति में ना हो।
-निर्माण साइट पर प्रोजेक्ट से जुड़ा किसी तरह बोर्ड नहीं लगा सकेंगे।
-बिल्डर, डवलपर न तो ब्रोशर प्रकाशित करेगा और न ही प्रोजेक्ट की मार्केटिंग के लिए अन्य किसी तरह के विकल्प अपनाएगा।
-संबंधित विकास प्राधिकरण, नगर विकास न्यास, नगरीय निकाय से कम्प्लीशन सर्टिफिकेट लेना होगा।
सवाल : किनके लिए छूट
प्रदेश में शायद ही कोई बिल्डर हो, जिसने अपना आवासीय या कॉमर्शियल प्रोजेक्ट बिना प्री-बुकिंग के पूरा किया हो। क्योंकि, बड़े प्रोजेक्ट निर्माण में मोटी पूंजी लगती है। केवल 15-20 फ्लैट बनाने वाले कुछ एक बिल्डर ही होंगे, जो खुद की पूंजी से प्रोजेक्ट निर्माण कर पाने की स्थिति में होंगे। इनमें भी वही बिल्डर, जिसके बाद ऐसे एक या दो प्रोजेक्ट ही हों। ऐसे में सवाल उठ रहा है आखिर इस छूट का फायदा किसे और कितने बिल्डर, डवलपर्स को मिलेगा।
अभी तक ये प्रोजेक्ट ही थे बाहर
-500 वर्गमीटर से कम क्षेत्रफल के भूखंड पर बने फ्लैट
-एक भूखंड पर 8 और इससे कम फ्लैट बने हो
जवाब मांगते सवाल
-यदि ऐसा बिल्डर जो रेरा में रजिस्ट्रेशन नहीं कराए और बुकिंग भी शुरू कर दे तो ऐसी स्थिति में मॉनिटरिंग का कोई मैकेनिज्म नहीं है।
-बुकिंगकर्ता पर दोहरी मार पडऩे की आशंका रहेगी। यदि बिल्डर धोखाधड़ी करता या फिर तय समय पर आवास नहीं देता है तो बुकिंगकर्ता रेरा में भी शिकायत नहीं कर पाएगा।
Published on:
10 Oct 2022 12:09 pm
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