
फाइल फोटो-पत्रिका
जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर पीठ ने वर्ष 1993 के मुंबई सिलसिलेवार ट्रेन बम धमाकों के दोषी सात आतंकियों को बड़ी राहत देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने साफ किया कि आतंकवादी और विध्वंसक गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (टाडा) के तहत उम्रकैद की सजा काट रहे दोषियों को समय से पहले रिहा नहीं किया जा सकता।
दोषियों ने 20 वर्ष की सजा पूरी कर लेने का हवाला देते हुए समयपूर्व रिहाई की मांग की थी। इस पर न्यायमूर्ति सुदेश बंसल और न्यायमूर्ति भुवन गोयल की खंडपीठ ने याचिकाएं खारिज कर दीं। कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार के उस तर्क को स्वीकार किया, जिसमें कहा गया था कि आतंकवाद जैसे जघन्य अपराधों में दोषी व्यक्तियों की रिहाई समाज और देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हो सकती है।
याचिकाकर्ताओं में दौसा निवासी असफाक खान, मुंबई के फजलुर रहमान सुफी, उत्तर प्रदेश के कबीरनगर निवासी आबरे रहमत अंसारी, कर्नाटक के मोहम्मद एजाज अकबर, मुंबई के मोहम्मद आमीन, कर्नाटक के मोहम्मद शमशुद्दीन और उत्तर प्रदेश के मोहम्मद अफाक शामिल हैं। ये सभी वर्तमान में जयपुर केंद्रीय कारागार में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे हैं।
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उल्लेखनीय है कि 5 दिसंबर 1993 को मुंबई में सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे, जिनमें दो लोगों की मौत हो गई थी और 22 लोग घायल हुए थे। मामले में 28 फरवरी 2004 को टाडा अदालत ने दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इस फैसले को मई 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा था।
Published on:
18 Dec 2025 08:53 pm
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