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Save Aravalli: पत्रिका ने सोशल मीडिया के जरिये आमजन से मांगी अरावली पर्वतमाला मामले में राय, जानें क्या बोले यूजर्स

राजस्थान पत्रिका के फेसबुक पेज पर पूछे गए सवाल #SaveAravalli अरावली की नई परिभाषा पर आपकी क्या राय है?

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Save-Aravali

फोटो: पत्रिका

अरावली पर्वतमाला मामले में प्रदेश में आक्रोश चरम पर है। यह आक्रोश किसी राजनीतिक दल, संगठन या मंच तक सीमित नहीं रहा, बल्कि आमजन की चेतना से फुटता दिखा।

राजस्थान पत्रिका के फेसबुक पेज पर पूछे गए सवाल #SaveAravalli अरावली की नई परिभाषा पर आपकी क्या राय है? पर जनभावनाओं का ऐसा सैलाब सामने ला दिया, जिसने यह साफ कर दिया कि अरावली केवल भूगोल नहीं, बल्कि लोगों के जीवन, अस्तित्व और भविष्य का सवाल है।

चार विकल्पों (ए) पर्यावरण के लिए खतरनाक, (बी) विकास के लिए जरूरी, (सी) फैसले पर पुनर्विचार होना चाहिए और (डी) पूरी जानकारी नहीं है..में से अधिकांश ने पर्यावरण और पुनर्विचार के पक्ष में अपनी राय दी। रिकॉर्ड 18 हजार से ज्यादा लोगों ने कमेंट कर अरावली बचाने के लिए भावनाएं व्यक्त की।

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इन टिप्पणियों में गुस्से के साथ चिंता भी दिखी। नारे कम, चेतावनी ज्यादा, राजनीति से ज्यादा प्रकृति की पुकार सुनाई दी। किसी ने अरावली को मां बताया, किसी ने राजस्थान की सांस, तो किसी ने उत्तर भारत की जीवनरेखा। लोगों ने विकास बनाम विनाश की बहस को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि प्रकृति के बिना विकास संभव नहीं।

आज प्रकृति हारी तो कल इंसान हारेगा…यह पहाड़ नहीं, ढाल है

सदियों तक अरावली ने राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली को मरुस्थल बनने से बचाया। आज वही अरावली अस्तित्व के संकट से जूझ रही है। 100 मीटर नहीं, 100 पीढ़ियों का सवाल है अरावली। आज प्रकृति हारी तो कल इंसान हारेगा। यह सिर्फ पहाड़ नहीं, पानी, हवा और जीवन की ढाल है।
सौरभ कुमार

ये हमारी माता है जिसने हमें पाला है। इसे पहाड़ मत कहो, यह स्वर्ण श्रृंगार माला है, जिसने हमारे अस्तित्व को संभाला है।
दिनेश

प्रकृति से खिलवाड़ करने का अधिकार किसी को नहीं है। यह हमारी संस्कृति, परंपरा और भावों से जुड़ा है। यही हमारा अस्तित्व है।
मनोज एस. कौशल

अरावली सिर्फ पहाड़ नहीं, राजस्थान की सांस है। विकास के नाम पर विनाश का आदेश स्वीकार नहीं। अगर आज अरावली कटी तो कल राजस्थान सूख जाएगा।
भागीरथ चबरवाल

अरावली कोई साधारण पहाड़ नहीं, यह भारत की आन-बान-शान है। इसके साथ छेड़‌छाड़ प्राकृतिक नुकसान को न्योता देना है। इसमें भारत का इतिहास समाया हुआ है।
दिनेश यादव

नदियां, ढलान और पर्वत यों ही नहीं बने। इनका मौसम और धरती के संतुलन से सीधा संबंध है। प्रकृति से छेड़छाड़ का भुगतान सबको करना पड़ेगा।
चंद्रशेखर जांगिड़

जब पर्वत नहीं रहेंगे तो इंसान कहां रहेगा

अरावली पर्वत की सुरक्षा का अर्थ वैदिक काल की वनस्पति और विरासत की रक्षा है।
दुर्गाशंकर सोनी

प्रकृति का अंग-भंग करोगे तो प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ेगा।
अशोक सोनी

अरावली की रक्षा जीवन की रक्षा है। अगर वह खतरे में है तो समस्त जीवन जाति खतरे में है। सरकार के फैसले को रोकना होगा, सोशल मीडिया पर अभियान चलाना चाहिए।
सुनील कुमार

प्रगति के नाम पर जीवन की सांसों को खतरे में मत डालो। पेड़ और पहाड़ बचेंगे तभी आने वाली पीढ़ी सांस ले पाएंगी।
ललित श्रीमाली

अरावली के हटने से मरुस्थल बढ़ेगा और हिमालयी राज्यों में बाढ़ व बादल फटने की घटनाएं बढ़ेंगी।
शमशेर आलम

अरावली सिर्फ राजस्थान नहीं, पूरे भारत की धरोहर है। किसी भी लाभ के लिए इसकी कीमत नहीं चुकाई जा सकती।
संतोष यादव

जब पर्वत नहीं रहेंगे तो इंसान कहां रहेगा? ऑक्सीजन कहां से मिलेगी?
मनीष सोनी

अरावली सिर्फ पत्थरों की श्रृंखला नहीं, उत्तर भारत की जीवनरेखा है। यही थार की रेत और लू को दिल्ली और पश्चिमी यूपी तक पहुंचने से रोकती है।
ठाकराराम