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दूध, फल और गंगाजल के सहारे राजस्थान में जीवित यूपी के फलाहारी बाबा, रेप केस में फसंने के बाद आखिर क्यों हैं मौनव्रत पर

Falahari Baba : रेप केस में 7 सालों से बंद अलवर सेंट्रल जेल में बंद फलाहारी बाबा आखिर अब 20 दिनों के पैरोल पर जेल से बाहर हैं। लेकिन आप भी चौंककर हैरान हो जाएंगे कि जब से वे जेल में बंद है तब से उन्होंने मौनव्रत धारण कर रखा है। न ही वे किसी से बातें करते हैं, बस अपनी बात लिखकर बताते हैं।

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जयपुर

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Supriya Rani

Apr 27, 2024

falahari baba

जयपुर. अलवर के फलाहारी बाबा उर्फ शिवपूजन गौतम मिश्र को 7 साल पहले 21 साल की लड़की से बलात्कार के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई थी। जिसके बाद तरह- तरह की बातें सामने आने लगी। उस वक्त कई लोगों का मानना था कि यह अनुयायी को फंसाने की बड़ी साजिश थी। खैर, जब उनके कमरे से कई आपत्तिजनक चीजें मिली, जैसे- महिलाओं की पायल, जड़ी-बूटियां आदि तो कोर्ट ने उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई। फलाहारी बाबा इस वक्त अलवर जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है और फिलहाल जेल से 20 दिन की पैरोल मिली है।

फलाहारी बाबा है शादीशुदा, एक बेटी भी

जानकारी के अनुसार, फलाहारी बाबा के 3 भाई हैं, जिनमें वो सबसे बड़ा है। रेपिस्ट फलाहारी बाबा शादीशुदा है, उनकी पत्नी गांव में रहती है। दोनों की एक बेटी भी है जिसकी शादी हो चुकी है।

हाईकोर्ट ने सुनाया यह आदेश

युवती से रेप के मामले में सजा काट रहे अलवर के फलाहारी बाबा हाई कोर्ट से 20 दिन के पैरोल पर बाहर आए हैं। फलाहारी बाबा 7 साल में पहली बार जेल से बाहर आया है। जानकारी के अनुसार, पहले फलाहारी बाबा की पैरोल के प्रार्थना पत्र को 'पैरोल सलाहकार समिति' ने अलवर एसपी की रिपोर्ट के आधार पर खारिज कर दिया था। इस समिति में जिला प्रशासन के अधिकारी, जेल सुप्रीडेंट सहित सामाजिक कार्यकर्ता रहते हैं। लेकिन इसके बाद फलहारी ने अपनी पहली पैरोल याचिका हाईकोर्ट के सामने लगाई थी। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पुलिस अधीक्षक ने अपनी रिपोर्ट के संबंध में कोई दस्तावेजी साक्ष्य पेश नहीं किए। आरोपी पिछले 7 साल से जेल में बंद है। ऐसे में वह अपनी पहली पैरोल पाने का अधिकार रखता है। पैरोल के मामले में बाबा का स्वास्थ्य, उम्र और जेल में बंद होने की अवधि और पुराना कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं होने के कारण पैरोल मिलने में आसानी हुई।

मौन व्रत किया हुआ है धारण

जब से फलाहारी बाबा जेल गे हैं तब से उन्होंने मौन व्रत धारण किया हुआ है। वे जेल में भी किसी से बात नहीं करते थे और अब 20 दिन की पैरोल मिली तो सीधे एकांतवास में चले गए हैं। जब से वो जेल गए हैं, तब से अभी तक वो मौन हैं। वे अपनी बात मात्र लिखकर ही बताते हैं। फलहारी बाबा को पैरोल मिलने की सुनना के बाद उनके अनुयायी उनके आश्रम और वेंकटेश बालाजी दिव्य धाम मंदिर पहुंच रहे हैं लेकिन फलाहारी बाबा किसी से नहीं मिल रहे।

2018 में हाईकोर्ट ने सुनाया था यह आदेश

आज से करीब साढ़े 6 साल पहले 11 सितंबर 2017 को बिलासपुर छत्तीसगढ़ की रहने वाली 21 वर्षीय युवती ने बाबा पर रेप का आरोप लगाया था। इसके बाद छत्तीसगढ़ पुलिस ने पीड़िता का मेडिकल और 164 के बयान दर्ज किए। रिपोर्ट तैयार कर अलवर पुलिस को भेज दिया गया था। इस मामले में अलवर के अरावली विहार थाने में मामला दर्ज हुआ और 9 मार्च 2018 को दुष्कर्म पीड़िता के बयान दर्ज हुए। 15 सितंबर 2017 को यानी 84 दिन बाद अलवर पुलिस ने कोर्ट में 40 पन्नों की चार्टशीट फाइल की थी। 8 महीने तक इस मामले की सुनवाई चली। जिसके बाद अंतत: 26 सितंबर 2018 को एडीजे कोर्ट फलाहारी बाबा को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। तब से पलाहारी बाबा अलवर के सेंट्रल जेल में बंद हैं।

अच्छे रवैये को देखते हुए मिला पैरोल

फलाहारी महाराज के शिष्य महाराज सुदर्शन आचार्य के मुताबिक, फलाहारी बाबा 40 साल से फल पर जीवित हैं। जेल में भी वे मात्र फल और दूध लेते हैं और जेल में भी गंगाजल पीते हैं। अब तक जब से पैरोल पर बाहर आए हैं किसी से कोई बातचीत नहीं की। सीधे एकांतवास में चले गए हैं। उनका कहना है कि जेल में उनके अच्छे रवैये को देखते हुए उन्हें पैरोल मिला है।

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