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किसानों को नहीं मिल रहे दाम, मंडियों में स्टॉक इकट्ठा, 40 फीसदी सरसों तेल पेराई मिलें बंद

सस्ते आयातित तेल का मंडियों में बड़ा स्टॉक इकट्ठा होने और सूरजमुखी और सोयाबीन के शुल्कमुक्त आयात की छूट 30 जून तक बढ़ाये जाने के बाद तेल-तिलहन बाजार में भारी गिरावट दर्ज की जा रही है।

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किसानों को नहीं मिल रहे दाम, मंडियों में बड़ा स्टॉक इकट्ठा,  40 फीसदी सरसों तेल पेराई मिलें बंद

किसानों को नहीं मिल रहे दाम, मंडियों में बड़ा स्टॉक इकट्ठा,  40 फीसदी सरसों तेल पेराई मिलें बंद

सस्ते आयातित तेल का मंडियों में बड़ा स्टॉक इकट्ठा होने और सूरजमुखी और सोयाबीन के शुल्कमुक्त आयात की छूट 30 जून तक बढ़ाये जाने के बाद तेल-तिलहन बाजार में भारी गिरावट दर्ज की जा रही है। दामों में आ रही इस गिरावट से तिलहन उत्पादक किसान और तेल उद्योग परेशान है। हालांकि सरकार ने सरसों के एमएसपी में 800 रुपए की बढ़ोतरी की है, लेकिन दाम काफी नीचे आने से किसानों का घाटा हो रहा है। मस्टर्ड आयल प्रोसेसिंग एसोसिएशन के संयुक्त सचिव अनिल चतर ने बताया कि एमएसपी में बढ़ोतरी के बावजूद इस बार मंडियों में सरसों लगभग 32 प्रतिशत नीचे बिक रही है। सरकार को सूरजमुखी और सोयाबीन तथा पाम एवं पामोलीन तेल के बीच मूल्य अंतर पर ध्यान देते हुए सूरजमुखी और सोयाबीन के दाम को बढ़ाना होगा, नहीं तो अप्रेल में पाम पामेलीन के आयात में जो गिरावट आई है, वह जारी रह सकती है और देश में खाद्य तेलों का उचित मात्रा में आयात प्रभावित हो सकता है।

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छह महीनों में 67.07 लाख टन का आयात

नवंबर 2021 से अप्रेल 2022 तक के छह महीनों में देश में खाद्य तेलों का आयात 67.07 लाख टन का हुआ था। जो नवंबर, 2022 से अप्रेल 2023 तक रिकॉर्ड बढ़त के साथ लगभग 81.1 लाख टन हो गया। इसकी मुख्य वजह सूरजमुखी तेल के दाम में भारी गिरावट आना है। सबसे सस्ता खाद्य तेल होने के कारण मार्च 2023 के मुकाबले अप्रेल में सूरजमुखी तेल का आयात लगभग 68 प्रतिशत बढ़ा है। सरकारी खरीद के बावजूद इस बार सरसों की फसल नहीं खपी है और किसानों के साथ-साथ देश का तेल उद्योग हैरान परेशान है। इसी कारण इस बार तिलहन फसल का रकबा 10.85 लाख हेक्टेयर के मुकाबले घटकर 9.96 लाख हेक्टेयर रह गया है।

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40 फीसदी सरसों तेल पेराई मिलें बंद

चतर ने कहा कि किसानों को एमएसपी से नीचे भाव पर सरसों बेचनी पड़ रही है। लगभग 40 फीसदी सरसों तेल पेराई मिलें बंद हो चुकी है। सरकार को जल्द से जल्द आयातित खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाना चाहिए।