
Randeep Surjewala (File Photo)
कांग्रेस महासचिव व कम्यूनिकेशन विभाग के अध्यक्ष रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि एक ओर 130 करोड़ लोग खड़े हैं, जबकि दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और 4 उद्योगपति है। करोड़ों किसान अपने जिंदगी की लड़ाई लड़ रहा है। सरकार को तय करना होगा कि वह किसके साथ है। कांग्रेस पूरी तरह से किसान-मजदूरों के साथ है। सरकार को हर हाल में किसान की द्योढ़ी पर झुकाकर ही दम लेंगे। सुरजेवाला ने यह बातें पत्रिका संवाददाता शादाब अहमद से विशेष बातचीत में कही। बातचीत के प्रमुख अंश-
1. किसानों से जुड़े कानूनों में ऐसा क्या है, जिसकी वजह से किसान आंदोलनरत है?
जवाब: देश का 62 करोड़ किसान जिंदगी और अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। मोदी सरकार ईस्ट इंडिया कंपनी से बड़ी व्यापारी बन कृषि के 25 लाख करोड़ रुपए के व्यापार को चार उद्योगपतियों के हाथ बेचना चाहती है, ताकि किसान अपने खेत और खलिहान में गुलाम बन जाए। किसान की लड़ाई सरकार से नहीं, बल्कि खेती विरोधी तीन काले कानूनों से है। हिमालय की चोटी से भी ऊंचे अहंकार में भाजपा की इस सरकार को किसान का दर्द भी नहीं दिख रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को यह याद रखना चाहिए कि जब रायदरबारियों को अन्नदाता और आमजन की समस्या सुननी और दिखनी बंद हो जाती है, वह दरबार ज्यादा नहीं चल सकता है।
2. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि स्वामिनाथन आयोग की रिपोर्ट को कांग्रेस ने दबाए रखा। कृषि सुधार की बात लंबे समय से हो रही है। किसी ने यह सुधार नहीं किया, हमने कर दिया। इसमें गलत क्या है?
जवाब: प्रधानमंत्री देश को बरगला रहे हैं, लेकिन किसान भ्रमित नहीं होने वाले हैं। प्रधानमंत्री ने 6 फरवरी 2015 को सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र देकर यह कहा कि कांग्रेस-यूपीए सरकार ने स्वामिनाथन आयोग 135 सिफारिश लागू कर दी है, बाकी पर काम चल रहा है। उनका शपथ पत्र झूठा है या फिर अब उनका बयान। खेती-बाड़ी में सुधार जरूरी है, लेकिन उनकी खेती को लूटना ठीक नहीं है। भाजपा ने पिछले छह सालों में किसानों पर छह वार किए हैं। पहला वार 12 जून 2014 में गेहंू-धान की सरकारी खरीद पर बोनस नहीं देना का फैसला। दूसरा वार दिसंबर 2014 में भूमि के उचित मुआवजा कानून को खत्म करने के लिए अध्यादेश लाना। तीसरा वार फरवरी 2015 में मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र देकर कहा कि किसान को लागत पर 50 प्रतिशत मुनाफा कभी नहीं दिया जा सकता, क्योंकि उससे बड़े बड़े व्यापारियों के बाजार भाव बिगड़ जाएंगे। चौथा वार 2016 में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लाना, सच्चाई यह यह है कि जितना बीमा प्रीमियम दिया गया, उस पर 26 हजार करोड़ रुपए इन बीमा कंपनियों ने मुनाफा कमाया। पांचवा वार जून, 2017 में संसद में वित्त मंत्री अरुण जेटली का किसान कर्जमाफी से इंकार और उद्योगपतियों का 3 लाख 75 हजार करोड़ की राहत देना। छठा वार यह तीन काले कानून।
3. यदि सरकार किसानों के लिए खुले बाजार की बात कर रही है। इसमें दिक्कत क्या है?
जवाब: सरकार ने जो कानून बनाए हैं, उनको समझना जरूरी है। कानून से अनाज मंडिया समाप्त हो जाएंगी। उद्योगपति की फैक्ट्री, स्टोर, वेयरहाउस ट्रेड एरिया (मंडिया) बन जाएगा। ऐसे में एमएसपी कहां मिलेगी। एफसीआई 42 हजार मंडिया से फसल खरीद नहीं पाता है। 18 करोड़ किसानों से कहां खरीद पाएगी। ऐसे में वह चार उद्योगपति आएंगे और किसान से औने-पौने दाम में फसल खरीद ले जाएंगे और आम उपभोक्ता को महंगे दाम पर बेच देंगे। वहीं किसान उद्योगपतियों के अधीन होकर रह जाएंगे।
4. लेकिन, सरकार कह रही है कि मंडी एक्ट को समाप्त नहीं कर रहे हैं, फिर कांग्रेस ऐसा कैसे कह रही है?
जवाब: यदि आप कानून पढ़ेगे तो उसके सेक्शन धारा 2 (एन) के अंदर साफतौर पर लिखा है कि ट्रेड एरिया उसकी फैक्ट्री या उसका क्षेत्र होगा। जब ट्रेड एरिया अनाज मंडी से निकल कर बाहर आ जाएगा तो फिर मंडी अपने आप समाप्त हो जाएगी। मोदी सरकार ने यह एमएसपी से कम पर फसल नहीं खरीदने की बात कानून में क्यों नहीं लिखी?
5. क्या सरकार फसलों पर एमएसपी की गारंटी दे सकती है।
जवाब: देखिए, कांग्रेस की बनाई एमएसपी प्रणाली चार दशक से चल रही है। मंडी में फसल की कीमत का निर्धारण हो जाता है। मंडी में किसान को फसल का एमएसपी से कभी दस रुपए कम तो कभी दस रुपए अधिक मूल्य मिल जाता है। जब मंडी ही नहीं रहेगी तो एमएसपी कौन देगा? कांग्रेस ने कभी इस तरह का कोई कानून बनाया, जवाब नहीं में आएगा। अब सरकार कानून बनाकर एमएसपी खत्म कर रही है, क्योंकि कानून में इसकी व्याख्या नहीं है। कालाबाजारी, चोरी रोकने के लिए जमाखोरी पर जो पाबंदी थी, उसे हटा दिया। कानून में यह लिख दिया कि जब तक चीजें 100 फीसदी महंगी नहीं हो जाए तब तक सरकार दखल नहीं देगी।
6. कांग्रेस पर किसानों को बरगलाने का आरोप लग रहे हैं। केन्द्रीय मंत्री और भाजपा कह रही है कि देश के अधिकांश किसान कानूनों से संतुष्ठ है।
जवाब: मोदी सरकार और भाजपा देश के अन्नदाता को अपमानित कर रही है। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर किसानों को खालिस्तानी कहते हैं। मंत्री पीयूष गोयल इनको नक्सलवादी, रवि शंकर प्रसाद टुकड़े-टुकड़े गैंग, हरियाणा के कृषि मंत्री चीन-पाकिस्तान का एजेंट बता रहे हैं। किसानों को गालियां देना बंद करना होगा। किसान देश का पेट पालता है और उसका बेटा सीमा संभालता है। यदि आपने इन्हें दुत्कार दिया तो देश आगे नहीं चल सकेगा।
7. सरकार झुकने को तैयार नहीं है, किसान भी अपनी बात पर अड़े हैं। आपको क्या लगता है कि इस आंदोलन से कोई रास्ता निकलेगा?
जवाब: मोदी सरकार चार उद्योगपतियों की दलाली का रास्ता छोडक़र 62 करोड़ अन्नदाताओं की फिïक्र करें। यदि अनाज की खरीद नहीं हुई तो 84 करोड़ एससी, बीसी और गरीबों के राशन कहां से मिलेगा। जिस दिन सरकार इनकी चिंता करेगी, उस दिन काले कानून समाप्त करने का फैसला खुद-ब-खुद हो जाएगा। सरकार को कोई वार्तालाप करनी है तो वह कानून लेने के बाद में भी हो सकती है।
8. यदि सरकार किसानों की बात नहीं मानती है तो कांग्रेस इस लड़ाई को अंजाम तक कैसे लेकर जाएगी?
जवाब: देश का अन्नदाता आर-पार की लड़ाई लड़ रहा है। उसके लिए यह जीवन जीने की लड़ाई है। यह किसान, खेत मजदूर, अनुसूचित जाति,आदिवासी, गरीब पिछड़ों की लड़ाई है। एक तरफ यह सभी लोग खड़े हैं और दूसरी ओर नरेन्द्र मोदी और चार उद्योगपति खड़े हैं। अब सरकार को निर्णय करना है कि वह 130 करोड़ लोगों के साथ है या 4 उद्योगपतियों के। कांग्रेस का पूर्ण समर्थन, नैतिक, राजनीतिक और नीतिगत किसान-मजदूरों के साथ है। भाजपा को आरोप लगाने का मौका नहीं देने के चलते आंदोलनकारियों ने राजनीतिक दलों को मंच साझा करने से दूर रखा है। हम इसका सम्मान करते हैं। वहीं राहुल गांधी ने अध्यादेश का विरोध किया था। पिछले दिनों उन्होंने ट्रैक्टर रैली निकाली और देशभर में आंदोलन किया। सरकार को किसान की द्योढ़ी पर झुकाकर दम लेंगे।
Published on:
21 Dec 2020 01:45 pm
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