कहानी ने डुबोयी 'नैया'
'हीरोपंती 2' की कहानी की बात करें तो इसमें बबलू राणावत (टाइगर श्रॉफ) एक कुख्यात हैकर है। अचानक हुई एक मुलाकात के बाद बबलू को इनाया (तारा सुतारिया) से प्यार हो जाता है, जो कि जादूगर लैला (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) की बहन है। असल में, लैला शातिर साइबर क्रिमिनल है। लैला ने एक ऐप डिजाइन किया है, जो यूजर्स का डेटा चुराता है। वहीं, सीबीआइ ऑफिसर असद खान (जाकिर हुसैन) ने बबलू को लैला के मंसूबों का पता लगाने भेजा है। लैला भारतीय बैंकों में रखा आम आदमी का पैसा लूटने की फिराक में है। पूरी कहानी बबलू और लैला के इर्द-गिर्द घूमती है, बावजूद इसके यह जरा भी थ्रिल नहीं करती।
बेसिर-पैर की स्क्रिप्ट और घिसे-पिटे स्क्रीनप्ले के कारण फिल्म हिचकोले खाती रहती है। निर्देशन किसी 'कटी पतंग' के जैसा है, जिसकी डोर निर्देशक के हाथ से 'छूट' गई है। गीत-संगीत भी ऐसा नहीं है, जो तनाव के माहौल में कुछ पल का सुकून दे सके। एडिटिंग ढीली है। सिनेमैटोग्राफी जरूर अच्छी कही जा सकती है। टाइगर श्रॉफ की फिजिक बहुत अच्छी है और उन्होंने स्टंट भी अच्छे किए हैं लेकिन बिना हाव-भाव के 'अभिनय' से जरा भी भरोसा नहीं देते। नवाजुद्दीन सिद्दीकी तो सचमुच वेस्ट हो गए हैं। उनकी ओवरएक्टिंग निराश करती है। तारा सुतारिया मिसकास्ट हैं। उनकी परफॉर्मेंस समझ से परे है। अमृता सिंह और जाकिर हुसैन के लिए करने को कुछ नहीं है। कुल मिलाकर 'हीरोपंती 2' ऐसी फिल्म है, जिसे बर्दाश्त करना 'माउंट एवरेस्ट' की चढ़ाई करने के जितना चैलेंजिंग है।
'हीरोपंती 2' की कहानी की बात करें तो इसमें बबलू राणावत (टाइगर श्रॉफ) एक कुख्यात हैकर है। अचानक हुई एक मुलाकात के बाद बबलू को इनाया (तारा सुतारिया) से प्यार हो जाता है, जो कि जादूगर लैला (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) की बहन है। असल में, लैला शातिर साइबर क्रिमिनल है। लैला ने एक ऐप डिजाइन किया है, जो यूजर्स का डेटा चुराता है। वहीं, सीबीआइ ऑफिसर असद खान (जाकिर हुसैन) ने बबलू को लैला के मंसूबों का पता लगाने भेजा है। लैला भारतीय बैंकों में रखा आम आदमी का पैसा लूटने की फिराक में है। पूरी कहानी बबलू और लैला के इर्द-गिर्द घूमती है, बावजूद इसके यह जरा भी थ्रिल नहीं करती।
बेसिर-पैर की स्क्रिप्ट और घिसे-पिटे स्क्रीनप्ले के कारण फिल्म हिचकोले खाती रहती है। निर्देशन किसी 'कटी पतंग' के जैसा है, जिसकी डोर निर्देशक के हाथ से 'छूट' गई है। गीत-संगीत भी ऐसा नहीं है, जो तनाव के माहौल में कुछ पल का सुकून दे सके। एडिटिंग ढीली है। सिनेमैटोग्राफी जरूर अच्छी कही जा सकती है। टाइगर श्रॉफ की फिजिक बहुत अच्छी है और उन्होंने स्टंट भी अच्छे किए हैं लेकिन बिना हाव-भाव के 'अभिनय' से जरा भी भरोसा नहीं देते। नवाजुद्दीन सिद्दीकी तो सचमुच वेस्ट हो गए हैं। उनकी ओवरएक्टिंग निराश करती है। तारा सुतारिया मिसकास्ट हैं। उनकी परफॉर्मेंस समझ से परे है। अमृता सिंह और जाकिर हुसैन के लिए करने को कुछ नहीं है। कुल मिलाकर 'हीरोपंती 2' ऐसी फिल्म है, जिसे बर्दाश्त करना 'माउंट एवरेस्ट' की चढ़ाई करने के जितना चैलेंजिंग है।
रेटिंग: *