
ये हैं मोहना सिंह जीतरवाल, जिन्होंने देश की सेवा के लिए सबसे कठिन रास्ता यानि सेना में जाने का फैसला किया और शत-प्रतिशत कामयाब भी हुई है। उन्हें उनकी क्षमता के अनुसार जिम्मेदारी सौंपी गई है। वह भारत की पहली महिला फाइटर पायलटों में से एक हैं। फ्लाइट लेफ्टिनेंट मोहना सिंह जीतरवाल के अलावा, यह उपलब्धि फ्लाइट लेफ्टिनेंट अवनी चतुर्वेदी और भावना कंठ को प्राप्त हुआ है। वर्ष 2020 मोहना सिंह जीतरवाल के साथ-साथ अवनी चतुर्वेदी और भावना कंठ को 'नारी शक्ति पुरस्कार' प्रदान किया, ये तीनों भारतीय वायु सेना की पहली महिला लड़ाकू पायलट थीं!
मोहना सिंह जीतरवाल के पिता, प्रताप सिंह, भारतीय वायु सेना में कार्यरत हैं और उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा एयर फ़ोर्स स्कूल, नई दिल्ली से पूरी की है। बाद में, वह इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन में बीटेक करने के लिए अमृतसर चली गईं। फिर उन्होंने भारतीय वायु सेना की परीक्षा पास की। ट्रेनिंग ना केवल सफलतापूर्वक पास की बल्कि इस दौरान उन्होंने असाधारण प्रदर्शन का साहस दिखाया। कई उत्कृष्ट फाइटर जेट का घंटों सफलतापूर्वक परिचालन किया।
वह हॉक एमके.132 एडवांस जेट ट्रेनर पर दिन में पूरी तरह से परिचालन में आने वाली भारतीय वायु सेना की पहली महिला फाइटर बनीं। मशीन पर 380 घंटे से अधिक की घटना-मुक्त उड़ान पूरी करने के बाद, उन्होंने हवा से हवा और हवा से जमीन पर लड़ाई मोड दोनों में प्रशिक्षण लिया और दक्षता हासिल की। जिसके आधार पर उनका चयन भारत की पहली महिला फाइटर पायलटों में से किया गया।
गौरतलब है कि महिलाओं के लिए एक्सपेरिमेंटल आधार पर भारतीय वायु सेना में फाइटर स्ट्रीम खोलने के भारत सरकार के फैसले के बाद, मोहना सिंह जीतरवाल को अपने समकक्षों के साथ पहली महिला लड़ाकू पायलट घोषित किया गया। जून 2016 में भारतीय वायु सेना के लड़ाकू स्क्वाड्रन में शामिल किए गए मोहना सिंह जीतरवाल, अवनी चतुर्वेदी और भावना कंठ को रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने औपचारिक रूप से कमीशन प्रदान किया। इन तीनों ने 2018 में MIG-21 में अकेले उड़ान भरी थी।
इंटरव्यू में मोहना सिंह जीतरवाल ने महिलाओं को लड़ाकू विमानों में जाने का मौका देने के लिए भारतीय वायु सेना का आभार व्यक्त किया और उन्होंने सभी से अपने सपनों को हासिल करने के लिए प्रयास करते रहने का भी आग्रह किया है।
Published on:
07 Mar 2024 08:43 pm
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