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12 व 10 साल के बच्चों के लिए श्रवण बुड़िया ने घरों में झाड़ू पोंछा तक किया

जोधपुर के 24 वर्षीय श्रवण बुड़िया ने अपनी भांजी व भांजे को विदेशी खेल नीति के अनुसार प्रशिक्षण दिया। राजस्थान के जोधपुर के एक किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले श्रवण बुड़िया की कहानी बहुत ही रोचक है। श्रवण के पापा का सपना था कि उनका बेटा सरकारी नौकरी करे लेकिन श्रवण को खेल में बहुत ही रुचि थी। श्रवण के पापा ने उनको बहुत बार समझाया लेकिन श्रवण को खेलने के जज्बे को कोई नहीं रोक सका।

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12 व 10 साल के बच्चों के लिए श्रवण बुड़िया ने घरों में झाड़ू पोंछा तक किया

12 व 10 साल के बच्चों के लिए श्रवण बुड़िया ने घरों में झाड़ू पोंछा तक किया

श्रवण के एक भाई देवराज जो भारतीय खेल प्राधिकरण( साईं) का एथलीट थे तो उन्होंने श्रवण को बताया कि साईं में खिलाड़ियों को लेने के लिए ट्रायल्स चल रहे है तो श्रवण भी वो ट्राइल्स देने पहुंच गए। उसके बाद उनका वहां पर चयन हो गया। श्रवण ने साईं में 3 साल की कड़ी मेहनत की लेकिन एक गंभीर हैमस्ट्रिंग की चोट ने एथलीट के रूप में उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया।

उसके बाद श्रवण जब घर वापस आए तो उन्हें पापा की सारी बातें याद आ रही थी। श्रवण ने इंटरनेट के माध्यम से पता लगाया कि चीन के खिलाड़ी ज्यादा मेडल कैसे जीतते है तो एक चाइना के न्यूज आर्टिकल में लिखा था कि किसी भी काम को करने से पहले अगर मकान की नींव मजबूत होगी तो आप उसके ऊपर कितनी भी बड़ी मंजिल खड़ी कर सकते है। यह बात श्रवण के दिल पर लग गई। यह वही समय था जब श्रवण को एहसास हुआ तब उन्होंने अपनी भतीजी पूजा बिश्नोई के माध्यम से खेल के प्रति अपने जुनून को आगे बढ़ाने के बारे में सोचा।

जब पूजा 3 साल की थी तब श्रवण ने उन्हें ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया। पूजा का ट्रेनिंग व डाइट का खर्चा बहुत आता था तो श्रवण ने एक मित्र के ऑफिस में काम करना शुरु कर दिया, जहां वह कभी कभी पोंछा भी लगाते थे। रविवार के दिन जब ट्रेनिंग नहीं होती तो श्रवण चारे की टाल पर भी काम करने जाते थे। स्वयं को परिवार से सपोर्ट नहीं मिलने के बाद भी श्रवण देश की नींव को मजबूत करने में लगे हुए थे।

श्रवण ने पूजा के लिए एक लम्बी रूपरेखा तैयार की लेकिन हतोत्साहित करने के लिए परिवार, पड़ोसियों व गांव वालों ने कई ताने सुनाए। कुछ लोगों ने उन्हें दिल से सपोर्ट भी किया वो लोग श्रवण के आज भी दिल में बसते हैं।

पूजा जब 5 साल की हुई तो वो सिक्स पैक एब्स बना चुकी थी। जब वह 6 साल की हुई तब उन्होंने दौड़ 10 किलोमीटर 48 मिनट में पूरी की थी और जब वह 8 साल की हुई तो 3 किलोमीटर 12:50 मिनट में पूरी कर ली थी।

पूजा के इस जोश को देखते हुए विराट कोहली ने अपने फाउंडेशन में उनका चयन कर लिया। जब पूजा को विराट कोहली का सपोर्ट मिला तब जो लोग उसको हतोत्साहित करते थे वो पूजा और श्रवण के साथ सेल्फी ले रहे थे।

पिछले साल 11 साल की पूजा ने अंडर 19 IPSC नेशनल प्रतियोगिता में 4 गोल्ड व 3000 मीटर का नया रिकॉर्ड भी बनाया था व CBSE नेशनल में 3000 मीटर में पैर की मोच के चलते 17 साल की लड़कियों के साथ कास्य पदक जीता व हाल ही में राज्य स्तरीय स्कूली प्रतियोगिता के अंडर 17 के 3000 मीटर को 11:00 मिनट में पूरी कर गोल्ड मेडल जीता। अभी पूजा को SGFI नेशनल की तैयारी करवाई जा रही है।

पूजा के साथ-साथ उसके 9 साल के भाई कुलदीप बिश्नोई को ट्रेनिंग दी जा रही है। कुलदीप के 8 पैक्स भी है। कुलदीप धोनी को अपना आइडियल मानते हुए क्रिकेट की तैयारी कर रहें हैं।

श्रवण का मानना है कि भारत में 15-16 साल के बाद टीम में चयन किया जाता है, जिसके कारण शरीर इतना लोड झेल नहीं पाता है और वो चोट का शिकार हो जाता है। इसलिए एक बच्चे को खिलाड़ी बनाने से पहले उसको 1 साल जिम्नास्टिक व 1 साल स्विमिंग करवानी चाहिए। उससे उसका शरीर खेलने के लिए समर्थ हो जाता है व श्रवण गरीब बच्चों को फ्री में प्रशिक्षण भी देते हैं।

पूजा बिश्नोई, कुलदीप बिश्नोई और श्रवण बुड़िया