25 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

वन्यजीवों की 330 से अधिक प्रजातियों में मिला ‘Forever Chemicals’

शोध : सुदूर इलाकों में भी जानवरों के उच्च स्तर पर प्रभावित होने की आशंका

2 min read
Google source verification

जयपुर

image

Aryan Sharma

Feb 24, 2023

वन्यजीवों की 330 से अधिक प्रजातियों में मिला 'Forever Chemicals'

वन्यजीवों की 330 से अधिक प्रजातियों में मिला 'Forever Chemicals'

वॉशिंगटन. 'फॉरेवर केमिकल्स' के रूप में जाना जाने वाला पीएफएएस रसायन लंबे समय से पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा बना हुआ है। अमरीका के इन्वायरनमेंटल वर्किंग ग्रुप (ईडब्ल्यूजी) ने अपने नवीनतम शोध में पाया है कि अंटार्कटिका को छोड़ दुनियाभर में पीएफएएस का व्यापक प्रदूषण 330 से अधिक जानवरों की प्रजातियों को नुकसान पहुंचा रहा है। पीएफएएस रसायन को ट्रैक करने वाले इस संगठन ने अपनी तरह का पहला मानचित्र तैयार कर बताया कि इस प्रदूषक से दुनियाभर में वन्यजीवों को कहां-कहां खतरा है। मानचित्र बनाने के लिए वैज्ञानिकों ने पीएफएएस और वन्यजीवों पर 100 से ज्यादा अध्ययनों का विश्लेषण किया।

जीवों के रक्त में मिले सैकड़ों पीएफएएस यौगिक
पीएफएएस रसायन अत्यधिक गतिशील होते हैं। ये वर्षों तक टूटते नहीं और इन्हें वातावरण के माध्यम से लंबी दूरी तक ले जाया जा सकता है। इस तरह दुनिया के सुदूर हिस्सों में रहने वाले जानवर जो औद्योगिक स्रोतों से दूर हैं जैसे अंटार्कटिका में पेंगुइन या आर्कटिक में ध्रुवीय भालू, पीएफएएस के उच्च स्तर से दूषित हो सकते हैं। शोधकर्ताओं ने जानवरों के रक्त में लगभग 120 प्रकार के पीएफएएस यौगिक पाए। हालांकि यह आंकड़ा अधिक होने की आशंका है, क्योंकि परीक्षण क्षमताओं की सीमाओं के कारण कई रसायनों की पहचान करना मुश्किल हो जाता है।

वन्यजीवों में संदूषण का स्तर गंभीर
शोधकर्ताओं ने बिच्छू, पांडा, कछुए, घोड़े, डॉग, जंगली सूअर, ऊदबिलाव और सीप जैसी कई प्रजातियों में पीएफएएस रसायन पाए हैं। वन्यजीवों में संदूषण का स्तर गंभीर है। ये रसायन हमारे जीव विज्ञान को इतने अलग-अलग तरीकों से कैसे प्रभावित करते हैं, इसे समझने के लिए छह दशक का समय लगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि हानिकारक रसायन वन्यजीवों पर भी असर डाल रहे हैं, जिनमें लुप्तप्राय प्रजातियां भी शामिल हैं।

जानवरों में पाए गए कई तरह के विकार
पूर्व में हुए अध्ययन बताते हैं कि रसायन संभवत: जानवरों को बीमार कर रहे हैं। गत वर्ष उत्तरी कैरोलिना के शोधकर्ताओं ने पीएफएएस संयंत्र के कारण दूषित पानी में रहने वाले मगरमच्छों में ल्यूपस के समान ऑटोइम्यून विकार पाया। इसके अलावा उत्तरी प्रशांत क्षेत्र में समुद्री कछुओं में प्रतिरक्षा प्रणाली से जुड़ी समस्याएं भी पाई गईं। दुनियाभर के वातावरण में पीएफएएस भारी मात्रा में मौजूद है, इसलिए स्थानीय स्तर पर प्रभावी उपायों और उपचार के समाधानों की तत्काल आवश्यकता है।

यह है पीएफएएस
पीएफएएस या पर-एंड पॉलीफ्लोरोअल्काइल पदार्थ लगभग 12,000 रसायनों का एक वर्ग है जिसका उपयोग अक्सर हजारों उत्पादों को पानी, दाग व ऊष्मा प्रतिरोधी बनाने के लिए किया जाता है। इन्हें 'फॉरेवर केमिकल्स' भी कहा जाता है क्योंकि ये स्वाभाविक रूप से नहीं टूटते और कैंसर, लिवर व किडनी के रोगों और अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनते हैं। 1940 के दशक से औद्योगिक निर्माण में इन रसायनों का प्रयोग बड़े पैमाने पर हो रहा है।