
Mahatma Gandhi
जयपुर
किसी भी कठिनाई के समाधान के लिए गांधी मार्ग सबसे सीधी विधि है। किसी भी परिस्थिति की तीव्रता या कठिनाई कैसी भी दिखाई दे, सत्य व अहिंसा का प्रयोग कर उन सब से निपटना संभव है।
यह कहना है सवाई मानसिंह अस्पताल के पूर्व अधीक्षक और पल्मोनोलॉजिस्ट एलर्जी और अस्थमा रोग विशेषज्ञ डॉ. वीरेंद्र सिंह का। जिन्होंने अपनी किताब ‘गांधी मार्ग मेरे प्रयोग‘ में उन सभी बातों को लेकर अपने अनुभव लिखे है जब उन्होंने एसएमएस अस्पताल में अधीक्षक रहते हुए गांधी जी के मार्ग पर चलकर अहिंसा और गलतियों को किसी को सजा देने बजाए प्रायश्चित के मार्ग से सुलझाया।
‘माई एक्सपेरिमेंट्स विद गांधी मार्ग‘ किताब के लेखक डॉ. वीरेंद्र सिंह का कहना है कि गांधी मार्ग को अपनाकर हम बिना किसी समस्या व परेशानी के अपने प्रतिदिन के काम आसानी से कर सकते हैं। जरूरत है तो बस इमानदारी व संयम के साथ गांधी जी के बताए मार्ग पर चलने की। जब मैं अधीक्षक था और कई बार जब समस्याएं आई तो मैं डिप्रेशन में आ गया। लेकिन मैं जानता था कि गांधी का मार्ग सत्य पर आधारित है। मैं उन्हीं मार्गों पर चला और विचार, वाणी और कर्म के सामंजस्य से एक तनावपूर्ण स्थिति को भी धैर्य के साथ हल कर दिखाया।
गांधी में तीन मुख्य बातें
डॉ.वीरेन्द्र कहते है कि गांधीवादी दर्शन से मैं प्रभावित हुआ और सबसे पहले इसका प्रयोग खुद पर किया। गांधी जी के विचारों ने मुझे पुस्तक लिखने के लिए प्रेरित किया। वे कहते हैं कि गलती में सुधार के लिए मुख्य तीन बातें जो मैंने गांधीवादी दर्शन से ली, उसने ना सिर्फ मेरी बल्कि औरों की भी जिंदगी बदल दी। ये तीन बातें थी, अपराध बोध के साथ अपनी गलतियों को स्वीकार करना, गलतियों को न दोहराने का दृढ़ निश्चय एवं गलतियों का प्रायश्चित।
कार्यअनुभव के दौरान मैंने अपने प्रयोग में यह पाया कि गांधी जी के बताए मार्ग पर चलकर किसी का भी हृदय परिवर्तित किया जा सकता है। अगर हम पहले ही यह बात ठान लें कि हमें झूठ नहीं बोलना है और अहिंसा के मार्ग पर चलना है तब हमारे लिए कुछ भी मुश्किल नहीं रह जाता है।
कर्मचारियों की कई हड़ताल,मरीज के परिजनों और डॉक्टर्स् के विवाद को समाप्त करवाने के लिए गांधीवादी सिद्धांत लागू किया, जो काफी कारगर साबित हुआ। गांधी मार्ग पर चलकर मैंने सीखा कि दूसरों की मदद करने से एक अलग तरह की खुशी और संतुष्टि मिलती है।इन्ही सभी अनुभव और प्रयेागों को मैने किताब में लिखा है जो आज 21वीं सदी में भी प्रासंगिक हैं।
Published on:
12 Apr 2022 10:58 am
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