जयपुर। छोटी काशी में मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी पर आज मोक्षदा एकादशी मनाई जा रही है। आज ही के दिन कुरुक्षेत्र में अर्जुन को भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी वाणी से गीता का उपदेश दिया था। सुबह से ही मंदिरों में धार्मिक कार्यक्रमों की धूम है। गोविंददेवजी मंदिर में सुबह से श्रद्धालुओं का उमड़ना शुरू हो गया। श्रद्धालुओं ने ठाकुरजी की विशेष झांकी के दर्शन किए। वहीं महिला श्रद्धालुओं ने परिक्रमा लगाकर एकादशी की कथा सुनी। श्रद्धालुओं को सागारी लड्डू का प्रसाद वितरण किया गया।
वहीं गलता गेट स्थित गीता गायत्री मंदिर में गीता के सामूहिक पाठों की गूंज रही। पं. राजकुमार चतुर्वेदी के सान्निध्य में मंदिर में धार्मिक आयोजन हो रहे हैं। इधर, अक्षयपात्र मंदिर में भी विशेष कार्यक्रम हो रहे हैं। आर गोविंद दास ने बताया कि जीवन में गीता का सार का महत्व है। इस महत्व से आज की पीढ़ी अनभिज्ञ है। विद्यार्थियों को वैदिक संस्कृति से जोड़ने के लिए हरे कृष्णा मूवमेंट की ओर से 12 जनवरी, 20 को प्रदेश स्तरीय गीता प्रतियोगिता होगी। इसके तहत भगवद गीता यथास्वरुप के अध्याय 1 से 6 पर आधारित परीक्षा होगी। ज्योतिषों की मानें तो गीता कर्म प्रधान है। जीव अपने सत्कर्मों, सदाचरण, सद्व्यवहार, सदवचन धारण करने पर ही प्रभु के चरणों में मोक्ष प्राप्त कर सकता है।
आपको बता दें गीता जयंती का पर्व ‘श्रीमद्भगवत गीता’ के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। महाभारत के 18 दिवसीय युद्ध के पहले दिन कुरुक्षेत्र के युद्धक्षेत्र में जब भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन गीता का दिव्य ज्ञान देते हुये अपने विराट रूप के दर्शन दिये थे, उस दिन मार्गशीर्ष महीने की शुक्ल पक्ष की एकदशी तिथि ही थी। भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता के ज्ञान के माध्यम से कर्म का महत्व जन-जन में स्थापित किया। मोक्षदा एकादशी के पीछे एक कहानी है। धर्म ग्रंथों के अनुसार महाभारत के युद्ध के समय जब अर्जुन मोहग्रस्त हो गए थे, तब कृष्ण भगवान ने गीता का उपदेश देकर अर्जुन के मोक्ष का निवारण किया था। उस दिन मार्गशीष मार्ग के शुक्लपक्ष की एकादशी थी। तभी से इस एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। कहा जाता हैं कि इस दिन मोक्षदा एकादशी का व्रत रखकर इसका पाठ करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है।