
coal crisis
कोयला संकट के बीच केन्द्र सरकार राज्यों के बिजलीघरों को अगले माह से 10 प्रतिशत तक कोयला सप्लाई कम करने की कवायद शुरू कर रही है। ऐसे में राजस्थान सहित संबंधित सभी राज्यों को विदेश से निर्धारित मात्रा में महंगा कोयला खरीदना ही होगा। दो दिन पहले विद्युत मंत्रालय ने अतिरिक्त कोयले की व्यवस्था करने के निर्देश दे दिए। इसके बाद ऊर्जा विभाग से लेकर राजस्थान में विद्युत उत्पादन निगम अधिकारियों में खलबली मच गई है।
विद्युत निगम ने विदेश से कोयला खरीदने के लिए राज्य सरकार को फिलहाल 1041 करोड़ रुपए उपलब्ध कराने के लिए कहा है। इससे 5.79 लाख मैट्रिक टन कोयला खरीदा जाएगा। हालांकि, बाद में यह खरीद 9.66 लाख मेट्रिक टन तक पहुंचने का अनुमान है। इसके लिए कुल 1736 करोड़ रुपए की जरूरत होगी। इससे बिजली उत्पादन 55 से 86 पैसे यूनिट तक महंगा होगा।
सीएम गहलोत साध चुके निशाना
सीआइएल से 170 लाख टन कोयले का अनुबंध: कोल मंत्रालय के अधीन कोयल इंडिया लि. (सीआइएल) से राजस्थान के बिजलीघरों के लिए सालाना 170 लाख टन कोयले का अनुबंध है। घरेलू सप्लाई घटती है तो करीब 17 लाख टन कोयला कम मिलेगा। इसी अंतर को पाटने के लिए विदेश से कम से कम 9.66 लाख टन कोयला खरीदने की जरूरत होगी।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 17 मई को समीक्षा बैठक में कह चुके हैं कि कोयले की समस्या से जूझ रहे राज्यों पर केन्द्र सरकार आयातित कोयला खरीद का दबाव बना रही है। इससे करोड़ों रुपए का अतिरिक्त आर्थिक भार पड़ेगा।
दावा यह : विदेशी कोयले को घरेलू कोयले में मिलाया जाएगा। इससे कम कोयले में ज्यादा बिजली उत्पादन का दावा किया जा रहा है। लेकिन विदेशी कोयले की कीमत घरेलू कोयले से तीन गुना ज्यादा है।
छबड़ा सुपर क्रिटिकल- 2.5 दिन
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कालीसिंध प्लांट- 7 दिन
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सूरतगढ़ सुपर क्रिटिकल- 6.5 दिन
कोटा प्लांट- 7 दिन
विदेशी कोयला से होगा उजाला
केन्द्र से ज्यादा से ज्यादा घरेलू कोयला ही उपलब्ध कराने को कहा है। विदेश से कोयला खरीदने से बिजली उत्पादन महंगा होगा। मौजूदा स्थिति में वैकल्पिक व्यवस्था के तहत विदेशों से कोयला आयात करने की प्रक्रिया भी शुरू करनी पड़ी है।
-भास्कर ए. सावंत, प्रमुख शासन सचिव, ऊर्जा विभाग
Published on:
19 May 2022 10:34 pm
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