गहलोत शनिवार को यहां सीतापुरा में इण्डियन इंस्ट्यिूट ऑफ जैम्स एंड ज्वैलरी (आईआईजीजे) के नए हॉस्टल के लोकार्पण समारोह को संबोधित कर रहे थे। गहलोत ने कहा कि देश में भय एवं हिंसा के माहौल के कारण निवेश प्रभावित हुआ है। ऐसे में मंदी के इस दौर में केन्द्र सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि कि अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए प्रभावी कदम उठाए।
गहलोत ने यूपीए सरकार के कार्यकाल को याद करते हुए कहा कि मनमोहन सिंह सरकार के समय पूरे विश्व में मंदी का दौर था और इसका असर भारत पर भी पड़ा लेकिन उस समय सरकार ने प्रभावी कदम उठाए और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती से थामे रखा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज युवाओं के पास रोजगार नहीं है लेकिन हर साल 2 करोड़ रोजगार पैदा करने का वादा करने वाले अब इसका जिक्र नहीं करते। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार ने ‘वन नेशन-वन टैक्स‘ की अवधारणा पर जीएसटी का खाका तैयार किया था। उस समय विपक्ष ने इसका लगातार विरोध किया था, लेकिन सरकार में आने के बाद उन्होंने ही बिना किसी फुलप्रुफ सिस्टम के जीएसटी लागू कर दिया और कई टैक्स स्लैब बना दी।
इसका परिणाम यह है कि आज भी जीएसटी काउन्सिल को बार-बार टैक्स स्लैब में बदलाव करना पड़ रहा है और इससे व्यापारी वर्ग दुखी है। गहलोत ने कहा कि देशभर में जीएसटी संग्रहण में कमी आई है। राज्यों पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ रहा है। राजस्थान के हिस्से के स्टेट ग्रांट की राशि मिलाकर 7 हजार करोड़ रूपये केन्द्र से नहीं मिल पाए हैं, जिससे विकास कार्य बाधित हो रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश में निवेश को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।
कांग्रेस मुक्त करने वाले खुद मुक्त हो गए
सीएम गहलोत ने भाजपा के कांग्रेस मुक्त भारत के नारे पर तंज कसते हुए कहा कि मोदी कहते हैं कि वह कांग्रेस मुक्त भारत बनाएंगे, लेकिन कांग्रेस मुक्त करने वाले ही खुद मुक्त हो गए हैं। साथ ही कहा कि प्रधानमंत्री को गांधी के उद्देश्यों पर चलना चाहिए, वह केवल मुंह से गांधी के उद्देश्यों की बात करते हैं, उनको दिल और दिमाग से भी गांधी के उद्देश्यों की बात करनी चाहिए।