
विश्वविख्यात गुलाबीनगर के रत्नों और जवाहरातों की चमक हुई खत्म
जयपुर. विश्वविख्यात गुलाबीनगरी की रत्नों और जवाहरातों की चमक कोरोना महामारी ने पूरी तरह से फीकी कर दी है। जेम्स एंड ज्वैलरी का हब माने जाने वाले परकोटे के जौहरी बाजार, गोपाल जी का रास्ता से संपूर्ण व्यापार न सिर्फ देश बल्कि विदेशों के लिए भी तय होता था। ज्यादातर पन्ना, रूबी स्टोन्स और इनसे बनी ज्वैलरी की खरीद होने के बाद दिल्ली, मुंबई, गुजरात सहित जापान, अमेरिका, हांगकांग और शंघाई तक एक्सपोर्ट का कार्य लॉकडाउन होने से ठप हो चुका है। अब तक जयपुर से कुल 300 करोड़ रुपए से ज्यादा का व्यापार प्रभावित हो चुका है। जैम्स स्टोन, ज्वैलरी, सर्राफा का पूरा कार्य यही से निर्भर है। जौहरी बाजार गोपाल जी का रास्ते में 1500 कार्यालय और दुकानें हैं। यहां सबसे ज्यादा निजी लॉकर्स में कई दिनों से जेम स्टोन का माल रखा होने से खराब होने के साथ फूटने और दरार आने का खतरा व्यापारियों को सता रहा है। जौहरी भीम सिंह जैन ने बताया कि जयपुर से यूरोप के लगभग 15 से अधिक देशों मे यह माल भेजा जाता है। रत्नों की सबसे बड़ी रत्नों की मंडी रामगंज में नवाब के चौराहे पर, शाम को गोपाल जी का रास्ता, सुबह जौहरी बाजार देवड़ी जी मंदिर में लगती थी।
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पूरे परकोटे के बाजार को बंद न करें
जयपुर व्यापार महासंघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और गोपाल जी का रास्ता व्यापार मंडल अध्यक्ष हरीश केड़िया ने बताया कि दो माह से परकोटे के बाजार बंद है। करोड़ो रुपए की विदेशी मुद्रा का लेनदेन इसी बाजार से होता है। जिस माल की कीमत एक करोड़ होती थी अब यह माल 25 लाख रुपए तक ही रह गया। जहां कोविड के मरीज मिले वहीं जिला प्रशासन संपूर्ण बाजार को बंद न कर चुनिंदा कुछ मीटर के क्षेत्र में ही कफ्र्यू लगाए। माणकचौक, कोतवाली, नाहरगढ रोड, सुभाषचौक, ब्रह्मपुरी थाना क्षेत्र में उक्त कार्य सबसे ज्यादा होता है। दुकानें और कार्यालय बंद होने से व्यापारी वर्ग आर्थिक और मानसिक परेशानी से जूझ रहा है। कई बार व्यापारियों ने निश्चित समयानुसार दुकानों को खोलकर अपने माल को संभालने की गुहार की है। जल्द से जल्द प्रशासन सुबह 11 से शाम 5 बजे तक दुकान खोलने की अनुमति दें। नए साल में फिर से कार्य पटरी पर अच्छे तरीके से सुचारू हो पाएगा।
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जेम और ज्वैलरी का माल कारीगरों के पास
व्यापारियों ने बताया कि उक्त रत्नों से सोना, चांदी, जेम्स और ज्वैलरी से निर्मित आभूषण तैयार करने के लिए बंगाली कारीगरों को माल दिया गया था। परंतु अचानक लॉकडाउन होने से वह माल कारीगरों के पास ही रह गया। इससे यह भी नहीं पता चल रहा कि कारीगर यहां है या पलायन कर चुके। जिससे बड़ा नुकसान होने का डर भी सबको सता रहा है। एक लाख बंगाली कारीगर राजधानी में इस कार्य से जुड़े हैं।
Published on:
29 May 2020 10:02 pm
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