12 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

गारंटी दो वरना दाखिला नहीं, बच्चा परीक्षा में कम से कम 75% अंक लाएगा, अन्यथा उसे स्कूल से निकाल दिया जाएगा

Education News: 75% नहीं लाए तो निकाला जाएगा, स्कूलों की अजीब शर्त से मचा बवाल,स्कूल ने रखी ऐसी शर्त कि अभिभावकों के उड़े होश।

2 min read
Google source verification

जयपुर

image

Rajesh Dixit

Apr 19, 2025

swami_atmanand_schools_admission_2024.jpg

school admission rules: जयपुर. जयपुर के निजी स्कूलों में नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत के साथ ही एक अजीबोगरीब नियम सामने आया है, जिसने अभिभावकों की चिंता बढ़ा दी है। कई स्कूलों में अब एडमिशन से पहले अभिभावकों से लिखित में यह गारंटी ली जा रही है कि उनका बच्चा परीक्षा में कम से कम 75% अंक लाएगा, अन्यथा उसे स्कूल से निकाल दिया जाएगा। इस शर्त ने न सिर्फ बच्चों पर अनावश्यक मानसिक दबाव डाल दिया है, बल्कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम की भावना के भी खिलाफ है। कुछ अभिभावकों ने इस अनुचित नियम की शिकायत शिक्षा विभाग से की है।

एक ओर जहां सीबीएसई बच्चों से पढ़ाई का बोझ कम करने के लिए साल में दो बार परीक्षाएं कराने की तैयारी कर रहा है, वहीं नए सत्र में बच्चों को प्रवेश देने से पहले स्कूल अभिभावकों के सामने शर्त रख रहे हैं।


यह भी पढ़ें: Holiday : क्या परशुराम जयंती पर घोषित राजकीय अवकाश की बदलेगी तिथि, अब उठी मांग, जानें कारण

इस तरह की गारंटी से अभिभावक चिंतित

अभिभावकों से लिखित में गारंटी ली जा रही है। उनसे लिखवाया जा रहा है कि बच्चा परीक्षा में 75 फीसदी अंक लाएगा। अगर ऐसा नहीं होता है तो बच्चे को स्कूल से निकाल दिया जाएगा। इस तरह की गारंटी से अभिभावक चिंतित हैं। प्रवेश दिलाएं या नहीं इसको लेेकर असमंजस में हैं। शहर के कई बड़े स्कूलों में प्रवेश प्रक्रिया अंतिम चरण में हैं। ऐसे में जिन स्कूलों में अब सीटें खाली हैं वहां अभिभावकों से गारंटी लेेकर प्रवेश किए जा रहे हैं। इस तरह की गारंटी पर कुछ अभिभावकों ने शिक्षा विभाग को शिकायत दी है।

सरकार आरटीई के तहत बिना गारंटी कराती निजी स्कूलों में पढ़ाई

आरटीई के तहत प्रवेश की बात करें तो सरकार जरूरतमंद बच्चों को निजी स्कूलों में प्रवेश दिलाती है। वहीं निजी स्कूल आरटीई के तहत बिना शर्त के ही प्रवेश देते हैं। कारण है कि शिक्षा के अधिकार के तहत बच्चों को प्रवेश के लिए मना नहीं किया जा सकता और न ही स्कूल शर्त रख सकते हैं।

नियमों के ​खिलाफ आदेश

दरअसल, स्कूल के परिणाम को बेहतर बनाने के लिए स्कूलों ने यह गली निकाली है, लेकिन शिक्षाविदों की मानें तो यह नियम विरुद्ध है। स्कूल पांचवीं कक्षा तक के बच्चों के लिए लिखित में गारंटी ले रहे हैं। जबकि शिक्षा के अधिकार के तहत आठवीं कक्षा तक के बच्चों को स्कूल परीक्षा में फेल नहीं कर सकते। ऐसे में गारंटी लेकर छोटे बच्चों पर पढ़ाई का बेवजह दबाव बनाया जा रहा है।

क्या कहते हैं जिम्मेदार

एक निजी स्कूल की प्रिंसीपल मंजू शर्मा कहती हैं कि अभिभावकों पर दबाव नहीं बनाया जा रहा है। बच्चों का पढ़ाई के प्रति रुझान बने इसके लिए यह लिखवाया जा रहा है। हमारा उद्देश्य बच्चों को मानसिक तनाव में लाना नहीं है।
वहीं दूसरी तरफ पूर्व जिला ​शिक्षा अ​धिकारी राजेन्द्र हंस कहते हैं कोई भी स्कूल बच्चों को मानसिक दबाव में नहीं ला सकता। यह कोई प्रावधान नहीं है कि प्रवेश से पहले अभिभावकों से लिखित में गारंटी ली जाए कि बच्चा 75 फीसदी अंक लाएगा। विभाग को ऐसे स्कूलों पर कार्रवाई करनी चाहिए।

यह भी पढ़ें: Holiday: राजस्थान में इस दिन सरकारी अवकाश घोषित किए जाने की मांग, क्या सरकार लेगी निर्णय?