
खाद्य तेल के सस्ते आयात पर अंकुश लगाए सरकार...देश का तिलहन उत्पादन संकट में
खाद्य तेलों के बढ़ते आयात के कारण घरेलू किसानों और तेल मिलों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है। जून में आयात करने के लिए विदेशों से लगभग 14 लाख टन खाद्य तेल की लदान हुआ है, जो जुलाई में आएगा। किसानों के पिछले साल का सोयाबीन अभी तक खपना बाकी है। इसके अलावा अफ्रीकी देशों से तिलहन 4800 से 5000 रुपए क्विन्टल के भाव आयात हो रहा है। जो देशी खाद्य तेल—तिलहन को और खपने नहीं देने की स्थिति पैदा करेगा। मस्टर्ड ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसियेशन ऑफ इंडिया बाबू लाल डाटा ने बताया कि देश के तिलहन उत्पादन को बचाने और किसानों के हौसले को बुलंद करने के लिए सरकार को सस्ते आयात पर अंकुश लगाने के बारे में सोचना चाहिए, क्योंकि देश की तेल मिलें पूरी ताकत से चलने में असमर्थ हो रही हैं और कई तेल पेराई मिलें बंद हो चुकी हैं।
तिलहन खेती से हतोत्साहित हुए किसान
डाटा का कहना है कि सस्ता आयातित तेल हमे फायदे के बजाय नुकसान दे सकता है और किसान तिलहन खेती से हतोत्साहित हो सकते हैं, जो खरीफ तिलहन बुवाई के रकबे में आई कमी से स्पष्ट है। तेल तिलहन के संबंध में मौजूदा नीतियां, तिलहन किसानों, खाद्य तेल उद्योग, भविष्य में आत्मनिर्भरता हसिल करने के प्रयासों को नुकसान पहुंचाएगा। इस संभावित प्रतिकूल स्थिति के लिए तेल संगठनों को भी जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, जिन्होंने समय रहते देश के तेल—तिलहन उद्योग की जरुरतों और हितों के पक्ष में पुरजोर आवाज नहीं उठाई।
Published on:
13 Jul 2023 12:08 pm
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