जयपुर

राजकोषीय घाटा पाटने को सरकार ने आरबीआइ से मांगे 10 हजार करोड़

लगातार तीसरे साल मांगा अंतरिम लाभांश : पिछले साल भी रिजर्व बैंक ने दिए थे 28 हजार करोड़

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Jan 25, 2020
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नई दिल्ली.
केंद्र सरकार ने राजकोषीय घाटा पाटने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने 10 हजार करोड़ रुपए का अंतरिम लाभांश मांगा है। यह वित्त वर्ष 2019-20 के लिए होगा। यह लगातार तीसरा मौका है जब केंद्र ने आरबीआइ से अंतरिम लाभांश की मांग की है।
आरबीआइ इस मामले में 15 फरवरी को नई दिल्ली में होने वाली केंद्रीय बोर्ड की बैठक में फैसला कर सकता है। फरवरी की बैठक से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आरबीआइ के केंद्रीय बोर्ड को संबोधित कर सकती हैं। 2018-19 में आरबीआइ ने केंद्र सरकार को 28 हजार करोड़ रुपये का अंतरिम लाभांश दिया था। इसकी घोषणा भी फरवरी 2019 में बजट के बाद हुई बोर्ड की बैठक में की गई थी।

इसलिए बढ़ा राजकोषीय घाटा
कर संग्रह और विनिवेश प्राप्तियों में कमी के कारण सरकार के लिए अपने राजस्व लक्ष्यों को हासिल करना मुश्किल हो रहा है।

आगे क्या?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को 2020-21 का आम बजट पेश करेंगी, जिसमें केंद्रीय बैंक से मिलने वाले अंतरिम लाभांश को शामिल किया जा सकता है।

पिछले साल शुरू हुई थी ऑडिट व्यवस्था
पिछले साल आरबीआइ ने बैलेंस शीट की छमाही ऑडिट की व्यवस्था शुरू की थी ताकि यह तय किया जा सके कि वह सरकार को कितना अंतरिम लाभांश दिया जा सकता है। हालांकि बैंक के हिसाब किताब का समवर्ती ऑडिट तिमाही आधार पर किया जाता है लेकिन यह पहला मौका था जब आरबीआई का बोर्ड स्तर पर वैधानिक ऑडिट किया गया था।

जालान की अगुवाई में बनी थी विशेषज्ञ समिति
आरबीआइ का वित्त वर्ष जुलाई से जून के बीच होता है, जबकि केंद्र सरकार का वित्त वर्ष अप्रैल से मार्च होता है। केंद्रीय बैंक अगस्त में अंतिम बैलेंस शीट तैयार करता है और इससे पहले ही केंद्र सरकार उससे अंतरिम लाभांश मांगने लगती है। इस अनियमितता को दूर करने के लिए आरबीआइ के पूर्व गवर्नर विमल जालान की अगुआई में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था।

अंतरिम लाभांश के लिए तय की थीं परिस्थितियां
समिति ने सुझाव दिया कि वित्त वर्ष 2020-21 से आरबीआइ का वित्त वर्ष भी सरकार की तरह अप्रैल से मार्च तक होना चाहिए। समिति के अनुसार अंतरिम लाभांश असाधारण परिस्थितियों में ही दिया जा सकता है। साथ ही कहा था कि आरबीआइ के अपना वित्त वर्ष बदलने के बाद भी आने वाले वर्षों में यह चलन जारी रह सकता है। इससे सरकार के पास इस वर्ष आरबीआइ से अंतरिम लाभांश मांगने की गुंजाइश है।

लगातार तीसरे वर्ष मांगा अंतरिम लाभांश
वित्त वर्ष लाभांश अंतरिम लाभांश
2016-17 65,876 0
2017-18 30,659 10,000
2018-19 40,000 28,000
2019-20 1,47,987 10,000
(राशि करोड़ रुपए में, *= सरकार ने अभी सिर्फ मांग की है)

Published on:
25 Jan 2020 04:50 pm
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