
illegal mining: अवैध खनन में जयपुर, झालावाड़ और बूंदी सबसे आगे
सरिस्का बाघ परियोजना का सरकार भले ही इको सेंसेटिव जोन निर्धारित नहीं पाई, लेकिन सुप्रीम कोई के आदेश से सेंचुरी के पास मार्बल जोन पर छाया कुंहासा अब छंटने लगा है। नए आदेश से सरिस्का से एक किलोमीटर दूरी पर आवंटित करीब 148 खानों को नवजीवन मिलने की उम्मीद जगी है। ज्यादातर मार्बल खानें पर्यावरणीय स्वीकृति एवं प्रदूषण नियंत्रण मंडल की कंसर्न टू ऑपरेट सीटीओ नहीं मिलने से बंद हैं। सुप्रीम कोर्ट की ओर से पिछले दिनों टाइगर रिजर्व एवं संरक्षित वन क्षेत्र के इको सेंसेटिव जोन को लेकर महत्वपूर्ण आदेश दिया है। इस आदेश के तहत अब सरिस्का बाघ परियोजना के एक किलोमीटर दूर खनन कार्य को हरी झंडी दी गई है। इससे टहला क्षेत्र के मार्बल जोन को फिर से पंख लगने की संभावना है।
पहले अरावली की मार, फिर पड़ रहा था सरिस्का भारी
पूर्व में अरावली पर्वतमाला में खनन कार्य पर पूरी तरह रोक लगाने के आदेश जारी किए गए, इससे जिले में बड़ी संख्या में खनन कार्य बंद हो गया। बाद में सरिस्का से 10 किलोमीटर दूर तक खनन की छूट दी गई। बाद में समय- समय पर इस छूट का दायरा घटता, बढ़ता रहा। इस कारण सरिस्का एवं राजगढ़ क्षेत्र में एक के बाद एक खान बंद होती गई। इससे क्षेत्र में रोजगार का संकट उत्पन्न हो गया।
इको सेंसेटिव जोन का अब तक अंतिम प्रकाशन नहीं
सरिस्का बाघ परियोजना का इको सेंसेटिव जोन निर्धारित करने के लिए करीब एक साल पहले ड्राफ्ट तैयार किया गया था। इको सेंसेेटिव जोन के ड्राफ्ट पब्लिकेशन पर आसपास के ग्रामीणों की आपत्ति ली गई, लेकिन इसका अंतिम प्रकाशन अब तक नहीं किया जा सका है।
सरिस्का के आसपास सोने व तांबे के अकूत भंडार
अलवर जिले में सोने के अकूत भंडार मिले है। वर्ष 1980 से 85 तक भूगोर के पहाड़ी क्षेत्र में सर्वे किया गया। इसमें 0.10 से 0.70 पीपीएम सोने, 0.10 से 2.1 पीपीएम तक चांदी के भंडार, 50 से 1000 पीपीएम तक आर्सेनिक की मात्रा मिली। लोकसभा में केंद्रीय खनन मंत्री प्रह्लाद जोशी ने भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि राजस्थान में स्वर्ण धातु का भंडार अलवर जिले के थानागाजी के मुंडियाबास में है। मुंडियाबास के भूगर्भ में सोना, चांदी और तांबा सहित कई तरह के खनिजों का भंडार है। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) की ओर से पीएमओ को सात साल पहले भेजी गई रिपोर्ट में भी जिक्र किया गया था कि मुंडियाबास में सोने, चांदी का भंडार है। जिले का खोह दरीबा कॉपर प्रोजेक्ट पूर्व में राजस्थान ही नहीं देश भर में विख्यात रहा है। यहां कॉपर की अच्छी मात्रा होने के कारण लंबे समय तक इसका दोहन किया गया, लेकिन वर्ष 1992 में पर्यावरणीय कारणों ने यहां कॉपर के दोहन की चाल थाम दी।
मिनरल उद्योगों की कच्चे माल की समस्या होगी कम
मार्बल जोन खुलने से मिनरल्स उद्योगों की कच्चे माल की समस्या खत्म होगी। पूर्व में मार्बल खान बंद होने का सबसे ज्यादा असर डोलोमाइट पाउडर बनाने वाले उद्योगों पर पड़ा है। देश भर में मार्बल के सफेद पाउडर की बड़ी मांग है। राजगढ, अलवर के एमआइए में बड़ी संख्या में डोलोमाइट पाउडर पीसने के उद्योग लगे हैं, इनमें मार्बल खंडा की सप्लाई टहला खनन क्षेत्र व सरिस्का के आसपास खानों से होती है। इनमें से ज्यादातर खाने बंद होने से उद्योगों की मार्बल खंडा की पूर्ति नहीं हो पा रही है। राजगढ तहसील के टहला क्षेत्र में मार्बल की करीब 150 खाने हैं, इनमें से वर्तमान में करीब 10 मार्बल खान ही चालू हैं।
ग्रामीणों को भी मिलेगा लाभ
सरिस्का के एक किलोमीटर दूरी तक इको सेंसेटिव जोन के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का क्षेत्रीय ग्रामीणों को भी बड़ा लाभ मिलने की संभावना है। कारण है कि इको सेंसेटिव जोन के बाहर खनन कार्य को मंजूरी मिलने पर बड़ी संख्या में क्षेत्रीय लोगों को रोजगार मिल सकेगा। इससे ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति में सुधार होने से उनकी क्रय शक्ति बढ़ेगी, जिसका सीधा प्रभाव बाजार पर पड़ेगा।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सरिस्का के समीपवर्ती टहला मार्बल जोन की बंद खानों को पर्यावरणीय स्वीकृति एवं प्रदूषण नियंत्रण मंडल से खान चलाने के लिए सीटीओ लेना संभव हो सकेगा। इससे टहला जोन की ज्यादातर खानें फिर से शुरू हो सकेंगी। वहीं खातेदारी जमीन पर नए खनन पटट्टे जारी होने तथा खनन विभाग की ओर से सरकारी भूमि पर प्लाट तैयार खनन पट्टों की नीलामी कर राज्य सरकार की तिजोरी भी भरी जा सकेगी।
क्षेत्र में पहले से ही खनन नहीं
सरिस्का क्षेत्र में पहले से ही खनन गतिविधियां नहीं है। अब नए आदेश के तहत सरिस्का से एक किलोमीटर क्षेत्र के बाहर खनन कार्य के निर्देश हैं। न्यायालय के आदेश की पालना की जाएगी।
सुदर्शन शर्मा, डीएफओ, सरिस्का बाघ परियोजना
Published on:
06 Jun 2022 06:52 pm
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