
Gulab Ji Chae Wala Passed Away : Gulab Ji Chae MI Road Jaipur
जयपुर
मंत्रियों और आम फुटपाथ से लेकर आला अफसरों तक अपनी चाय की शौहरत रचने वाले गुलाब सिंह धीरावत उर्फ गुलाबजी चाय वालों का शनिवार को उनके गांव सरणा डूंगरी में निधन हो गया। करीब 95 वर्षीय समाजसेवी गुलाब जी पिछले कुछ सालों से अस्वस्थ चल रहे थे। एमआईरोड यंत्रेश्वर महादेव के मंदिर के संस्थापकों में से वह एक प्रमुख सदस्थ थे। कलाकारों और संतों में गुलाब जी की चाय विशेष रूप से लोकप्रिय थी। उन्होंने उक्त मंदिर की ओर से सज्जन सिंह के साथ मिलकर करीब पचपन साल पूर्व श्रीकृष्णा जन्माष्टमी महोत्सव प्रारंभ किया था। जिसमें देश के कई नामी कलाकार रात-रात भर भक्ति रस की धारा प्रवाहित करते आए हैं।
गुलाब जी के निकट सहयोगी कलाकार पं.हनुमान सहाय ने बताया कि गुलाब जी का उनके गांव में शनिवार को ही बहुत कम लोगों की उपस्थिति में दाह संस्कार कर दिया गया। गुलाब जी के निधन पर पदमभूषण पं. विश्वमोहन भटट, पदमश्री उस्ताद वासिफउददीन डागर, भजन गायक अनूप जलोटा, आकाशवाणी के पूर्व निदेशक व वरिष्ठ शायर इकराम राजस्थानी, वरिष्ठ कलाकार उस्ताद निसार हुसैन, वरिष्ठ ध्रुवपद गायक पं.लक्ष्मण भटट तैलंग, वरिष्ठ कला समीक्षक इकबाल खान नियाजी और अनेक कलाकारों और समाजसेवियों ने गुलाब जी के निधन को अपूरणीय क्षति बताया। उनकी चाय की लोकप्रियता को देखते हुए कई चाय की कंपनियों के सदस्य उनसे चर्चा के लिए आते थे। गुलाब जी को कई पुरस्कारों से नवाजा जा चुका था।
सादगी के लिए जाने जाते थे
समृद्ध परिवार में पैदा हुए एक गुलाब सिंह धीरावत ने सुख सुविधाओं का त्याग किया और सादगी के उस रास्ते पर चल पड़े जो मुश्किलों भरा था। इस इंसान ने चकाचौंध से भरी दुनिया में परोपकार की अनोखी मिसाल कायम की। गुलाबी नगरी में रहने वाले गुलाब जी के हाथों में ऐसा जादू था कि जो भी उनके हाथ की बनी चाय का स्वाद चख लेता है वो दोबारा जयपुर जरूर आता था। आज़ादी से पहले सन 1946 में गुलाब सिंह ने चाय का एक ठेला लगाया और उसके बाद एक छोटी सी दुकान ली, उस वक़्त के गुलाब अब गुलाब जी बन चुके थे। समृद्ध परिवार में पैदा हुए गुलाब जी का जीवन बड़ा ही सादगी भरा है।
सात्विक कमाई से समाज की सेवा
गुलाब सिंह धीरावत ने शुरुआत में निश्चय किया कि वो एक स्वाबलंबी बनेंगे और सात्विक कमाई कर उसी से समाज सेवा करेंगे। उन्होंने एक चाय की दुकान खोल ली। चाय की दुकान खोलने के बाद ही गुलाबजी सुबह सुबह निशक्त जनों को मुफ्त में चाय पिलाने लगे। शुरु में तो दो चार निशक्त व्यक्ति हर रोज आया करते थे पर उनकी संख्या आज 200-300 है, जिन्हें गुलाबजी नि:शुल्क चाय, ब्रेड व कचौरी उपलब्ध कराते थे। यहीं नहीं दोपहर में भी गुलाबजी की दुकान पर निशक्त जनों को मुफ्त भोजन के कूपन बांटे जाते है जिनके आधार पर लगभग 200-300 लोगो को एक सब्जी औऱ पराठा बिना किसी शुल्क के खाना दिया जाता है।
चाय में मोहब्बत की मिठास
जयपुर के एमआई रोड स्थित गणपति प्लाज़ा के पीछे छोटीसी चाय की दुकान, अक़्सर सफ़ेद कुर्ता धोती साफा और सबसे विनम्रता से बात करते गुलाब जी चाय में मोहब्बत की ऐसी मिठास भरते थे जो लोगों का मन मोह लेती थी।
शेखावत हुए उनकी चाय के कायल
गुलाबजी की चाय का स्वाद लेने वालों की फेहरिस्त लंबी है। उनकी दुकान पर दूर दूर से लोग उनकी चाय पीने आते हैं। पूर्व उपराष्ट्रपति भौरोंसिंह शेखावत तो अक्सर उनकी दुकान पर चाय पीने आया करते थे। संतूर वादक शिवकुमार शर्मा को किसी संगीत प्रेमी ने जब गुलाबजी के कार्यों की जानकारी दी तो वे भी खुद को उनसे मिलने औऱ चाय पीने से नहीं रोक पाए।
Published on:
02 May 2020 09:38 pm
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