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अब गुर्जर विशेष नहीं बल्कि अति पिछड़े कहलाएंगे, पिछड़े वर्ग का कोटा 26 फीसदी

सरकार ने राजस्थान पिछड़ा वर्ग विधेयक को विधानसभा में पार

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जयपुर

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Shadab Ahmed

Oct 26, 2017

jaipur

जयपुर . राज्य सरकार ने विधायकों की कोर्ट से व्यवधान की आशंकाओं को दरकिनार कर गुरुवार को विधानसभा में पिछड़े वर्ग आरक्षण का कोटा 26 फीसदी करवाने वाले विधेयक को पारित करवा लिया। इससे प्रदेश में 54 फीसदी आरक्षण हो गया है। वहीं विधानसभा ने सरकार को नियम बनाने की शक्तियां दी गई है। सरकार की ओर से दावा किया गया है कि इस बार यह बिल कानूनी पेचिदगी में नहीं फंसेगा।

गुर्जर समेत पांच जातियों को आरक्षण का लाभ देने के लिए सरकार ने राजस्थान पिछड़ा वर्ग (राज्य की शैक्षिक संस्थाओं में सीटों और राज्य की अधीन सेवाओं में नियुक्तियों और पदों का आहरण) विधेयक सदन में रखा। इसमें सरकार ने गुर्जर, बंजारा, गाडिया लोहार, राईका-रैबारी और गडरिया-गाडरी को अलग से 5 फीसदी आरक्षण देने की मंशा जाहिर की है। साथ ही इन जातियों को पिछड़े वर्ग के भीतर ही अति पिछड़े वर्ग के रूप में वर्गीकृत करने की सिफारिश की गई है।


विधेयक की खास बातें

- अति पिछड़े वर्गों के लिए राज्य के अधीन सेवाओं में नियुक्तियों और पदों का ऐसा प्रतिशत होगा जो राज्य सरार की ओर से समय-समय पर अधिसूचित किया जा सकें।
- स्थानांतरण, पदोन्नति और प्रतिनियुक्ति से भरे जाने वाले पद में कोई आरक्षण नहीं
-क्रीमीलेयर से संबंधित व्यक्ति, राज्य के अधीन नियुक्तियों और पदों में आरक्षित कोटे के विरुद्ध विार में लेने के पात्र नहीं होंगे।
- राज्य सरकार इसके लिए नियम बनाने के लिए अधिकृत


आरक्षण देने के लिए विशेष परिस्थितियां मौजूद

सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री अरूण चतुर्वेदी ने कहा कि पिछले अनुभवों से सीख लेते हुए इस बार विधेयक बनाने में कानून के सभी पहलुओं को ध्यान में रखा गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 91 जातियां ओबीसी में शामिल है और वे कुल जनसंख्या के करीब 52 फीसदी है। इंद्रा साहनी के मामले में कोर्ट ने परिकल्पित विशेष परिस्थितयों में आरक्षण 50 फीसदी से अधिक किया जा सकता है। राजस्थान में इन जातियों को उनके सामाजिक और शैक्षिक प्रोन्नति के लिए विशेष और तत्काल ध्यान देने जैसी विशेष परिस्थितयां विद्यमान है। गत 16 जुलाई को राज्य पिछड़ा आयोग और हाईपावर कमेटी ने इन्द्रा साहनी के मामले में अधिक से अधिक 50 फीसदी के भीतर एक फीसदी और उस सीमा के बाहर 4 फीसदी आरक्षण देने की सिफारिश की। इस तरह इन अति पिछड़ी जातियों का कुछ आरक्षण 5 फीसदी होना चाहिए और ओबीसी का कुल 26 फीसदी।