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गुरुपूर्णिमा कल, दो दशक बाद मंगलवार से श्रावण अधिक मास, बनेगा सोमवती अमावस्या का संयोग

Guru Purnima : अंचल में सोमवार को गुरु के पूजन का पर्व गुरु पूर्णिया मनाया जाएगा। इस मौके पर विभिन्न धार्मिक आयोजन होंगे। इस दौरान लोग अपने इष्ट देव स्वरूप गुरुदेव का पूजन करेंगे और उनसे आशीर्वाद लेंगे।

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Guru Purnima : अंचल में सोमवार को गुरु के पूजन का पर्व गुरु पूर्णिया मनाया जाएगा। इस मौके पर विभिन्न धार्मिक आयोजन होंगे। इस दौरान लोग अपने इष्ट देव स्वरूप गुरुदेव का पूजन करेंगे और उनसे आशीर्वाद लेंगे। इसके साथ ही मंगलवार से पवित्र श्रावण मास भी शुरू हो जाएगा। पंडित दिनेश मिश्रा ने बताया कि भगवान भोलेनाथ की भक्ति का महापर्व सावन माह चार जुलाई से शुरू होगा।

आस्था उमंग और उल्लास का यह महीना इस बार करीब दो माह का रहेगा। भक्त भगवान आशुतोष को जल यात्रा कर कांवड़ चढ़ाएंगे इसी के साथ ही सावन में आठ सोमवार और चार प्रदोष व्रत का संयोग मिलेगा। यह प्रथम श्रावण कृष्ण पक्ष रहेगा, जो चार महीने का रहेगा। से 17 जुलाई सोमवती हरियाली अमावस्या के साथपहले भाग में समाप्त होगा। इसके बाद अधिक मास का आरंभ होगा, जो 18 जुलाई से 16 अगस्त तक रहेगा। 17 अगस्त से पुनः शुद्ध श्रावण द्वित्तीय आरंभ होगा, जो 31 अगस्त तक रहेगा। इस तरह से श्रावण और अधिक मास की गणना होगी । श्रावण के प्रथम 15 दिन शुद्ध काल के माने जाएंगे। उसके बाद एक माह अधिक मास रहेगा। उसके बाद बचे 15 दिन शुद्ध श्रावण माना जाएगा। इस हिसाब से अधिक मास के साथ श्रावन का पवित्र महीना करीबन दो

सालों बाद श्रावण में सोमवती अमावस्या का संयोग
पंडित मिश्रा ने बताया कि श्रावण मास में सोमवती अमावस्या का संयोग सालों बाद बन रहा है। श्रावण अधिकमास होने से इसका महत्व और भी बढ़ गया है। खास बात यह है सोमवती अमावस्या श्रावण मास के प्रथम शुद्ध पक्षकाल में आ रही है। इसके अगले दिन से एक माह का अधिकमास शुरू हो जाएगा। सोमवती अमावस्या पर गंगा में स्नान का काफी महत्व है। मान्यता है सोमवती अमावस्या पर गंगा सहित तीर्थ स्थलों में स्नान करने से अश्वमेघ यज्ञ करने के समान पुण्य फल प्राप्त होता है।

सावन अधिकमास इसलिए
भारतीय ज्योतिष शास्त्र में सौर मास और चांद्र मास की गणना से व्रत त्योहार तथा विशेष योगों की गणना की जाती है। उन्हीं में से अधिक मास का योग संयोग हर तीन साल में बनता है। यह कभी श्रावण, कभी भादौ, कभी किसी अन्य माह में होता है। अधिक मास भगवान पुरुषोत्तम की साधना का माना गया है। इस दृष्टि से यह विशेष महत्व पूर्ण है। इस बार श्रावण अधिक मास होने से शिव व विष्णु की संयुक्त साधना होगी।