-एक करोड़ पेटियों से 2.13 लाख टन सेब बाहरी राज्यों को भेजा राज्य में सेब सीजन अब अपने चरम पर है। इस वर्ष अब तक सेब की 1,06,80,527 पेटियों के माध्यम से लगभग 213610.54 टन सेब 23,730 ट्रकों के माध्यम से बाहरी राज्यों को भेजा गया है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष प्रदेश में कुल 268 खरीद केंद्र खोले गए हैं और मंडी मध्यस्थता योजना के अंतर्गत अब तक 13390 टन सेब की खरीद की गई है।
-सेब का खेती के क्षेत्र प्राथमिक तौर पर सेब की खेती जम्मू एवं कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखंड की पहाडिय़ों में की जाती है। कुछ हद तक सेब की खेती अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, पंजाब और सिक्किम में भी की जाती है।
-सेब फसल की कटाई आमतौर पर सेब सितंबर -अक्टूबर से फ सल-कटाई के लिए तैयार होते हैं, लेकिन नीलगिरि में ऐसा नहीं होता है, जहां मौसम अप्रेल से जुलाई होता है। विकसित की गई किस्म पर निर्भर करते हुए पूर्ण पुष्प पुंज अवस्था के बाद 130-135 दिनों के भीतर फ ल पक जाते हैं। फ लों का रंग में परिवर्तन, बनावट, गुणवत्ता और विशेष स्वाद के विकास से जुड़ा होता है। फ सल-कटाई के समय फ ल एकसमान, ठोस और भुरमुरा होने चाहिए। पकने के समय त्वचा का रंग किस्म पर निर्भर करते हुए पीला-लाल के बीच होना चाहिए। तथापि फ सल-कटाई का सर्वोत्तम समय फ ल की गुणवत्ता और भंडारण की अभीष्ट अवधि पर निर्भर करता है।
-चौथे वर्ष फल…सेब की पैदावार सेब के पेड़ पर चौथे वर्ष से फ ल लगने शुरू होते हैं। किस्म और मौसम पर निर्भर करते हुए, एक सुप्रबंधित सेब का बगीचा औसतन 10-20 किलो प्रति पेड़ प्रति वर्ष की पैदावार देता है।