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पुरखों ने किया ऐसा इन्तजाम, तीन बार बाढ़ में भी अडिग रहा रामगढ़ बांध

Heritage Window : हजारों मण शीशे का कमाल, कभी न टूटा रामगढ़ बांध ( History Of Ramgarh Dam) , तीन बार बड़े खतरे का सामना किया था रामगढ़ बांध ने    

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जयपुर

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Deepshikha

Jul 29, 2019

jaipur

पुरखों ने किया ऐसा इन्तजाम, तीन बार बाढ़ में भी अडिग रहा रामगढ़ बांध

जितेन्द्र सिंह शेखावत / जयपुर. पिचानवे साल पहले सन 1924 में सितम्बर महीनें तक जयपुर के ढूढाड़ में रोजाना ही मूसलाधार बरसातें होती रही। रामगढ़ बांध से 9 फीट पानी की चादर कई दिनों तक चली। बांध टूटने की आशंका देखते हुए भरतपुर रियासत को खतरे की सूचना दी गई थी। वैसे 1975 और जुलाई 1981 की बाढ़ का खतरा भी इस मजबूत बांध ने आसानी से झेला।

सन् 1897 में बांध की नींव लगाने पर भरतपुर रियासत ने यह कह कर बनाने का विरोध किया था, बांध के टूटने पर भरतपुर को खतरा हो जाएगा। तब अंग्रेज मुख्य अभियंता स्वींटन जैकब, अभियंता सीई स्टाथर्ड, सहायक अभियंता लाला रुपचंद और मान मिस्त्री ने लिखकर दिया कि इसमें हजारों मण शीशा डाला जाएगा ऐसे में बांध कभी भी नहीं टूटेगा। हुआ भी यही 1924 ही क्या 1975 और 1981 में आठ फीट की चादर चली लेकिन बांध का बाल भी बांका नहीं हुआ।

खास बात यह भी रही कि उस दौरान बने काळख, कूकस आदि बांध भी मजबूत बनाए गए। जयपुर फाउंडेशन के अध्यक्ष सियाशरण लश्करी के पास मौजूद पुराने दस्तावेज के मुताबिक अगस्त 1923 को लोगों ने भीगते हुए तीज का मेला देखा। जुलाई 1924 में दिन भर बरसात होती रही। बनास नदी में अचानक तेज पानी आने से मछली पकड़ने गए तीन यूरोपियन लड़के डूब गए जिनको रेजीडेंसी कब्रिस्तान में दफनाया गया।

3 अगस्त 1924 को तीज मेले में गांवों के हजारों लोग बरसात में भीगते रहे। मकराना के पास पांच मील तक रेल पटरी उखड़ गई । 21 अगस्त को जन्माष्टमी पर अच्छी बरसात हुई। 26 अगस्त को रात को में बिजलियां कड़की और पानी बरसा। 9 सितम्बर को घरों के चौक पानी का तालाब बन गए और आगरा दिल्ली की रेले बंद रही। साधु महात्मा भी बाहर नहीं जा सके उनको भी उपवास करना पड़ा।

24 घंटों में 9.67 इंच वर्षा दर्ज

10 सितम्बर 1924 को मेयो अस्पताल में पांच इंच और सेन्ट्रल जेल व स्टेशन पर सात इंच बरसात हुई। 24 घंटों में 9.67 इंच वर्षा दर्ज की गई। पुरानी बस्ती में मकान व दीवारें गिरने से चार जनों की मृत्यु हो गई। कई घायलों को मेयो अस्पताल में भर्ती कराया गया।

बिजली गिरने से दो जने आहत

14 सितम्बर से 28 सितम्बर 1924 तक जयपुर में रोजाना भारी वर्षा हुई। फूटा खुर्रा में बिजली गिरने से दो जने आहत हो गए। 30 अगस्त को जन्माष्टमी पर बरसात होती रही। 1 अक्टूबर 1924 को गोपालजी का रास्ता में हवेली गिरने से तीन आदमी मरे। मावठा की मोरी खोली गई और जल महल पूरा भर गया। सन् 1926 के मानसून में भी अच्छी बरसात हुई।