30 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

अब एसएमएस अस्पताल नहीं आना पड़ेगा एचआईवी पीडि़तों को

HIV : जयपुर . HIV-Infected Patients को अब Treatment के लिए Sawai Mansingh Hospital तक नहीं आना पड़ेगा। जल्द ही प्रदेश के छह Private Medical Colleges में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल के अंतर्गत Anti-Retro Viral Treatment (एआरटी) सेंटर खुलेंगे। AIDS Control Society की ओर से हाल में National AIDS Control Organization को प्रस्ताव भेजा था, जो कि नाको ने स्वीकृत कर लिया है।

2 min read
Google source verification
hiv aids

hiv aids

HIV : जयपुर . एचआइवी संक्रमित मरीजों ( HIV-Infected Patients ) को अब इलाज ( treatment ) के लिए सवाई मानसिंह अस्पताल ( Sawai Mansingh Hospital ) तक नहीं आना पड़ेगा। जल्द ही प्रदेश के छह निजी मेडिकल कॉलेजों ( private medical colleges ) में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल के अंतर्गत एंटी रिट्रो वायरल ट्रीटमेंट ( Anti-Retro Viral Treatment ) ( एआरटी ) सेंटर खुलेंगे। एड्स कंट्रोल सोसायटी ( AIDS Control Society ) की ओर से हाल में राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन ( national aids control organization ) को प्रस्ताव भेजा था, जो कि नाको ने स्वीकृत कर लिया है।

खास बात यह है कि इन प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में मरीजों का निशुल्क इलाज और जांच होगी। प्रशासन का कहना है कि 31 जनवरी तक एआरटी सेंटर खुलने की संभावना है। एड्स कंट्रोल सोसायटी से मिली जानकारी के अनुसार जेएनयूए महात्मा गांधी, निम्स, अमरीकन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, उदयपुर, गीतांजलि मेडिकल कॉलेज, उदयपुर, अनंता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइसेंज राजसमंद में एआरटी सेंटर खुलने वाले हैं। सोसायटी ने नंवबर माह में इन कॉलेजों की फिजिबिल्टी विजिट की। इसके बाद नाको को सेंटर खोलने के लिए रिपोर्ट सौंपी। प्रदेश में 24 एआरटी सेंटर है, जिनमें 23 राजकीय क्षेत्र और एक प्राइवेट क्षेत्र में हैं। इसके अलावा 25 लिंक एआरटी हैं, जहां दवा वितरण का काम होता है।

गौरतलब है कि वर्तमान में जयपुर में एसएमएस अस्पताल में एक मात्र एआरटी सेंटर हैं, जहां मरीजों का इलाज होता है। इस एआरटी सेंटर में छह हजार मरीज पंजीकृत है। रोजाना करीब 150-200 मरीज आते हैं। ऐसे में अन्य जगहों पर सेंटर खुलने से एसएमएस का भार कम होगा। मरीजों को इलाज के लिए दूर नहीं आना पड़ेगा। जयपुर में एसएमएस में ही एआरटी सेंटर होने से दूर-दराज के मरीजों को यहां आना पड़ता था। जिससे उन्हें घंटों बस में या निजी वाहनों से सफर कर यहां आना पड़ता था।

नए सेंटर खुलने से मरीजों का सफर कम होगा। मसलन यदि कोई शाहपुरा, अचरोल आस-पास के गांवों से इलाज के लिए एसएमएस आते हैं, तो सेंटर खुलने से उन्हें यहां नहीं आना पड़ेगा। निम्स में ही मरीज इलाज करवा सकेंगे। इसी तरह सीतापुरा, शिवदासपुरा, जगतपुरा से आने वाले मरीज महात्मा गांधी में और बस्सी, कानोता से आने वाले मरीज जेएनयू में ही इलाज करवा सकेंगे। गौरतलब है कि एआरटी सेंटर में एचआइवी मरीजों की कलस्टर डिफरेंशियल सेल वायरल लोड की जांच होती है। साथ ही एआरटी की दवाइयां मिलती है।