
Holi 2023: 30 साल बाद विशेष संयोग में होगा होलिका दहन, 12 साल बाद गुरु अपनी स्वराशि मीन में
जयपुर। होली का त्योहार सम्पूर्ण राजस्थान के साथ देश के अधिकतर प्रदेशों में फाल्गुन शुक्ल प्रदोषकाल व्यापिनी चतुर्दशीयुक्त पूर्णिमा पर 6 मार्च को मनाया जाएगा। वहीं अगले दिन 7 मार्च को रंगों का पर्व धुलंडी का उल्लास छाएगा। राजस्थान में भद्रा के साए में होलिका दहन होगा। हालांकि इस दिन 30 साल बाद विशेष संयोग भी बन रहा है, जो सुख-समृद्धि लेकर आएगा।
ज्योतिषाचार्य पंडित दामोदर प्रसाद शर्मा ने बताया कि 30 साल बाद होलिका दहन के दिन विशेष संयोग बन रहा है। इस दिन शनि देव अपनी स्वराशि कुम्भ में रहेंगे। इस दिन 12 साल बाद गुरु अपनी स्वराशि मीन में रहेंगे। वहीं शुक्र भी मीन राशि में रहेंगे है, जो उनकी उच्च राशि है। दो ग्रहों का स्वराशि व एक का उच्च राशि में रहने से आने वाला समय अच्छा होगा। प्रजा हित के कार्यो पर सरकार का फोकस रहेगा। जनता के रुके हुए काम गति पकड़ेंगे। होली का पर्व सोमवार को होने से विशेष फलदायक रहेगा।
बुधादित्य योग भी बन रहा
ज्योतिषाचार्य डॉ रवि शर्मा ने बताया कि होलिका दहन के दिन सूर्य व बुध कुम्भ राशि में रहेंगे, इससे बुधादित्य योग भी बन रहा है, जो व्यापारिक क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करेगा। व्यापार जगत में उन्नति दायक होगा। ज्योतिष में बुधादित्य राजयोग को बहुत शुभ माना गया है।
सूर्य, बुध और शनि का त्रिग्रही योग....
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि होलिका दहन के दिन शनि की राशि कुंभ में सूर्य, बुध और शनि का त्रिग्रही योग बन रहा है। ऐसा संयोग 30 साल बाद बन रहा है। इससे पूर्व वर्ष 1993 में होलिका दहन के अवसर पर तीनों ग्रह कुंभ राशि में थे। इस त्रिग्रही योग के अलावा मीन राशि में गुरु और शुक्र की युति से भी शुभ योग बन रहा है। शुक्र अपनी उच्च राशि में होने से मालव्य योग और गुरु अपनी स्वराशि में होने से हंस नामक राज योग बन रहे हैं।
राजस्थान में 6 मार्च को ही होलिका का दहन
धर्म शास्त्रों के अनुसार प्रदोषकाल व्यापिनी पूर्णिमा पर गोधूली बेला में होलिका का दहन किया जाता है। फाल्गुन पूर्णिमा 6 मार्च को शाम 4.18 बजे प्रारंभ होगी, जो 7 मार्च को शाम 6.10 बजे तक रहेगी। राजस्थान में 6 मार्च को प्रदोष काल में पूर्णिमा मिल रही है। दूसरे दिन 7 मार्च को पूर्णिमा प्रदोष काल को स्पर्श नहीं कर पाएगी, इसलिए सम्पूर्ण राजस्थान में 6 मार्च को ही प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा पर गोधूली बेला में होलिका का दहन किया जाएगा। ज्योतिषाचार्य पं. दोमादर प्रसाद शर्मा का कहना है कि होलिका दहन प्रदोषकालयुक्त गोधुली बेला में किया जाना शास्त्र सम्मत है।
भद्रा के साए में होलिका का दहन...
ज्योतिषाचार्य रवि शर्मा ने बताया कि धर्मसिन्धु शास्त्रानुसार होलिका दहन में भद्रा को टाला जाता है, लेकिन भद्रा का समय यदि निशीथ काल (अर्द्धरात्रि) के बाद चला जाता है, तो होलिका दहन (भद्रा के मुख को छोड़कर) भद्रा पुच्छकाल या प्रदोषकाल में करना चाहिए। 6 मार्च को प्रदोषकाल में पूर्णिमा शाम 6. 27 बजे से 6.39 बजे तक रहेगी। इस बीच शाम 4.18 बजे से दूसरे दिन 7 मार्च को तड़के 5.14 बजे तक भद्रा रहेगी। इस बार राजस्थान सहित देश में अधिकांश जगहों पर भद्रा के साए में होलिका दहन होगा। जयपुर में होलिका दहन का समय शाम 6 बजकर 26 मिनट से 6 बजकर 38 मिनट तक रहेगा।
Published on:
04 Mar 2023 10:23 am
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