
कुछ ही दिनों में होली का त्योहार आने वाला है। रंग-बिरंगे रंगों से होली खेलने का एक अलग ही एहसास होता है। होली आने के चंद महीने पहले ही रंगों के बाजार सजने लगते हैं। सभी की होली खेलने के लिए पहली पसंद गुलाल होती है। जब आप बाजार में रंग-बिरंगे गुलाल देखते हैं तो आपने सोचा होगा कि गुलाल कैसे बनते है। तो चलिए आपको बताते हैं कि जिस गुलाल से आप होली खेलती हैं, वह बनता कैसा है।
गुलाल बनाने की एक प्रक्रिया होती है, पहले अरारोट के चूर्ण में रंग मिलाया जाता है। कुछ समय बाद इसमें सेंट का प्रयोग किया जाता है। हर साल होली के दौरान करोड़ों रुपए का कारोबार होता है। अभी बाजार में लाल, हरा, गुलाबी, पीला, जामुनी गुलाल मिलता है। स्ट्रॉस गुलाल यानी अरारोट के चूर्ण से बना गुलाल बहुत ही मुलायम होता है। सफेद रंग के अरारोट के चूर्ण में रंग मिलाकर उसे मशीनों से पीसा जाता है। पीसने से पाउडर में रंग मिल जाता है और उसकी कोमलता भी बढ़ जाती है। पुराने समय में सभी काम हाथों से होता था। आज भी कुछ दुकानें है जहां पर कारीगर आज भी हाथों से गुलाल बनाते है।
बदलते दौर में गुलाल बनाने में मशीनों का उपयोग किया जाता है। अरारोट के पाउडर में रंग डालकर मशीन में डालकर गुलाल बनाया जाता है ताकि रंग पाउडर में मिल जाए। इस दौरान पाउडर गीला हो जाता है जिसे बाद उसे सुखाया जाता है। इसके बाद इसे फिर से मशीन में डालकर पीस लिया जाता है, जिससे गुलाल नरम रहता है।
Updated on:
04 Mar 2023 04:28 pm
Published on:
04 Mar 2023 04:22 pm
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