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मिलावट पर कैसे हो सख्त सजा…एक कानून केन्द्र में अटका, दूसरे के लिए राज्य में नियम नहीं

खाद्य पदार्थों में मिलावट पर सरकारों ने खूब चिंता जताई, लेकिन कानून में सख्ती को लेकर न तो केन्द्र सरकार गंभीर है और न ही राज्य सरकार। मिलावट पर उम्रकैद की सजा के लिए राज्य विधानसभा से पारित विधेयक तीन साल से राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए केन्द्र सरकार के पास अटका है। वहीं, केन्द्र सरकार के खाद्य सुरक्षा एवं मानक कानून में मिलावट के लिए उम्रकैद व 10 लाख रुपए तक जुर्माने का प्रावधान है, लेकिन राज्य सरकार के नियम नहीं बनाने से प्रदेश में कानून बेअसर साबित हो रहा है।

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जयपुर

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GAURAV JAIN

Sep 03, 2024

- उम्रकैद की सजा के लिए आईपीसी-सीआरपीसी में संशोधन विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतजार

- खाद्य सुरक्षा एवं मानक कानून में उम्रकैद का प्रावधान, लेकिन राज्य में नियम नहीं होने से कानून बेअसर

जयपुर. खाद्य पदार्थों में मिलावट पर सरकारों ने खूब चिंता जताई, लेकिन कानून में सख्ती को लेकर न तो केन्द्र सरकार गंभीर है और न ही राज्य सरकार। मिलावट पर उम्रकैद की सजा के लिए राज्य विधानसभा से पारित विधेयक तीन साल से राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए केन्द्र सरकार के पास अटका है। वहीं, केन्द्र सरकार के खाद्य सुरक्षा एवं मानक कानून में मिलावट के लिए उम्रकैद व 10 लाख रुपए तक जुर्माने का प्रावधान है, लेकिन राज्य सरकार के नियम नहीं बनाने से प्रदेश में कानून बेअसर साबित हो रहा है।

विधानसभा से तीन साल पहले दंड विधियां संशोधन विधेयक पारित किया गया, जिसमें भारतीय दंड संहिता में मिलावट पर कम से कम सजा 6 माह से बढ़ाकर एक से 7 साल और मिलावट जानलेवा होने पर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान जोड़ा गया। विधेयक के जरिए दंड प्रक्रिया संहिता में भी संशोधन किया जाना था। विधेयक केन्द्रीय कानून में संशोधन से जुड़ा होने के कारण राज्यपाल ने इसे मंजूरी के लिए केन्द्र सरकार के जरिए राष्ट्रपति के पास भेज दिया। इसके बाद से यह विधेयक ठंडे बस्ते में पड़ा है।

विधेयक ही बेकार हो गया

राज्य विधानसभा से 2021 में पारित दंड विधियां संशोधन विधेयक के जरिए मिलावट पर सख्त सजा के लिए भारतीय दंड संहिता व दंड प्रक्रिया संहिता में संशोधन किया जाना था, लेकिन एक जुलाई से भारतीय दंड संहिता व दंड प्रक्रिया संहिता के स्थान पर नए कानून अस्तित्व में आ गए। ऐसे में मिलावट पर उम्रकैद की सजा और 10 लाख रुपए जुर्माने के लिए 3 साल पहले केन्द्र सरकार को भेजा गया विधेयक अब बेकार हो गया है।

कार्रवाई कैसे हो, खाद्य सुरक्षा अधिकारी ही नहीं

केन्द्र सरकार के खाद्य सुरक्षा एवं मानक कानून 2011 में लागू हो गया, लेकिन प्रदेश में स्थायी खाद्य सुरक्षा अधिकारी नहीं हैं। वहीं, राज्य सरकार ने कार्रवाई के लिए नियम भी नहीं बनाए। इसका मिलावटखोरों को बच निकलने का मौका मिल रहा है।

हाईकोर्ट जता चुका चिंता

हाल ही राजस्थान हाईकोर्ट ने खाद्य पदार्थों में मिलावट, फलों को पकाने व सब्जियों को सुरक्षित रखने के लिए रसायनों के प्रयोग पर चिंता जाहिर की। ऐसे फल व सब्जियों के उपयोग के कारण लोगों के गंभीर रोगों का शिकार होने की ओर भी हाईकोर्ट ने सरकार का ध्यान दिलाया। इस मामले को लेकर हाईकोर्ट ने स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लिया।