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श्राद्ध पक्ष में कैसे करें पितरों को प्रसन्न

शुक्रवार से श्राद्ध पक्ष शुरू हो गए है.मान्यता है कि इन दिनों में हम अपने पूर्वजों को याद करते हुए उनके नीमीत ब्राह्राणों को भोजन करवाकर उनकों याद करते हैं. मान्यता है श्राद्धों में पितरों की आत्मा धरती पर आती है और अपने परिजनों के साथ रहती हैं. पितरों को खुश रहने के लिए श्राद्ध के दिनों में विशेष कार्य करना चाहिए वही कुछ वर्जित कार्य नहीं करना चाहिए. आज हम आपको बताने वाले हैं कि पितृ पक्ष के इन दिनो मे किन कामों से आपको बचना चाहिए और क्या ऐसा करना चाहिए जिससे आपके पितृ खुश हो.

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 How to please fathers in Shraddha Paksha

शुक्रवार से श्राद्ध पक्ष शुरू हो गए है.मान्यता है कि इन दिनों में हम अपने पूर्वजों को याद करते हुए उनके नीमीत ब्राह्राणों को भोजन करवाकर उनकों याद करते हैं. मान्यता है श्राद्धों में पितरों की आत्मा धरती पर आती है और अपने परिजनों के साथ रहती हैं. पितरों को खुश रहने के लिए श्राद्ध के दिनों में विशेष कार्य करना चाहिए वही कुछ वर्जित कार्य नहीं करना चाहिए. आज हम आपको बताने वाले हैं कि पितृ पक्ष के इन दिनो मे किन कामों से आपको बचना चाहिए और क्या ऐसा करना चाहिए जिससे आपके पितृ खुश हो.

श्राद्ध में पुण्य-लाभ के लिए करें इन वस्तुओं का प्रयोग किसी भी श्राद्ध में तर्पण करने के लिए तिल, जल, चावल, कुशा, गंगाजल आदि का प्रयोग आवश्य करना चाहिए परंतु केला, सफेद पुष्प, उड़द, गाय का दूध एवं घी, खीर, स्वांक के चावल, जौ, मूंग, गन्ना आदि से किए गए श्राद्ध से पितर अति प्रसन्न होते हैं.

तुलसी, आम और पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं और सूर्यदेवता को सुबह अर्ध्य दें. चांदी के पात्रों का प्रयोग अधिक लाभदायक है. जिस दिन किसी का श्राद्ध करना हो उस के पहले दिन विद्वान ब्राह्मण को बड़े आदर भाव से भोजन का निमंत्रण देना चाहिए और मध्यान्हकाल में बढ़िया एवं मीठा भोजन खिलाकर ब्राह्मण को दक्षिणा में फल आदि देकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें.

इस दिन पितर गायत्री मंत्र और पितर स्तोत्र का पाठ दक्षिणा मुखी होकर करना चाहिए. इस दिन कौवे, गाय और श्वान को ग्रास अवश्य डालें क्योंकि इनके बिना श्राद्ध अधूरा ही रहता है. चींटियों को भी आटा-चावल,अन्न आदि डालना चाहिए.

अब बात करते है श्राद्धों में क्या क्या काम नहीं करें.

पितृपक्ष में श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को पान, दूसरे के घर पर खाना और शरीर पर तेल नहीं लगाना चाहिए साथ ही पूरे पितृपक्ष में ब्रह्राचर्य के व्रत का पालन करना चाहिए. पितृपक्ष में कभी भी लोहे के बर्तनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए.

पितृपक्ष में कोई भी शुभ कार्य या नयी चीजों की खरीददारी नहीं करनी चाहिए. क्योंकि पितृपक्ष शोक व्यक्त करने का समय होता है.पितृपक्ष में हमारे पितर किसी भी रुप में श्राद्ध मांगने आ सकते हैं इसलिए किसी जानवर या भिखारी का अनादर नहीं करना चाहिए.

पितृपक्ष में बिना पितरों को भोजन दिए खुद भोजन नहीं करना चाहिए. जो भी भोजन बने उसमें एक हिस्सा गाय, कुत्ता, बिल्ली, कौआ को खिला देना चाहिए.श्राद्ध में बनाया जाने वाला भोजन घर की महिलाओं को नहीं खिलाना चाहिए।

श्राद्ध में पुरुषों को दाढ़ी मूंछ नहीं कटवाना चाहिए. श्राद्ध के पिंडों को गाय, ब्राह्राण और बकरी को खिलाना चाहिए.चतुर्दशी को श्राद्ध नहीं करना चाहिए. लेकिन जिस किसी की युद्ध में मृत्यु हुई हो उनके लिए चतुर्दशी का श्राद्ध करना शुभ रहता है.

चतुर्दशी को श्राद्ध नहीं करना चाहिए. लेकिन जिस किसी की युद्ध में मृत्यु हुई हो उनके लिए चतुर्दशी का श्राद्ध करना शुभ रहता है.