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कैसे बचे मान…थिंक टैंक परेशान

भाजपा-कांग्रेस के लिए चुनौती बना लगातार हार का क्रम

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कैसे बचे मान...थिंक टैंक परेशान

कैसे बचे मान...थिंक टैंक परेशान


जयपुर @ पत्रिका. विधानसभा चुनाव के चल रही तैयारियों के बीच सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्षी दल भाजपा के थिंक टैंक में इन दिनों बेचैनी है। दरअसल बेचैनी की वजह लगातार हार वाली सीटें हैं, जहां दोनों ही दलों को लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में दोनों ही दल हार का क्रम किस प्रकार तोड़ पाए इसी जद्दोजहद में जुटे हुए हैं। भाजपा के मुकाबले कांग्रेस को इस मामले में ज्यादा चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल प्रदेश में 52 सीटें ऐसी हैं, जहां कांग्रेस को लगातार तीन बार हार का सामना करना पड़ रहा है, वहीं भाजपा को 14 सीटों पर लगातार हार का सामना करना पड़ा है।


कांग्रेस: माइक्रो मैनेजमेंट के तहत तैयारी शुरू

लगातार जिन सीटों पर पार्टी को हार मिल रही है उन पर जीत के लिए कांग्रेस थिंक टैंक ने भी अब नए सिरे से रणनीति तैयार करना शुरू कर दी है। इसके लिए बकायदा माइक्रो मैनेजमेंट के तहत चुनावी तैयारियां शुरू की गई हैं। साथ ही पार्टी के अग्रिम संगठनों के नेताओं को भी इन सीटों की जिम्मेदारी दी जाएगी। वहीं चर्चा यह भी है कि लगातार हार रही सीटों पर चुनावी चेहरे भी बदलने की रणनीति बनाई जा रही है।

यहां चार बार से ज्यादा हारी कांग्रेस

वहीं कई सीटें ऐसी भी हैं जहां कांग्रेस को चार या उससे ज्यादा बार हार का सामना करना पड़ रहा है। उन सीटों में बाली, पाली, सूरसागर, झालरापाटन, खानपुर और उदयपुर शहर है। 2008 में सूरसागर रिजर्व सीट से सामान्य हुई थी।

5 सीटें ऐसी जहां पर 3 बार से लगातार जीती

वहीं 200 में से केवल चार सीटें ऐसी हैं, जहां कांग्रेस को लगातार तीन बार से जीत मिल रही है। इनमें सरदारपुरा, झुंझुनूं, लक्ष्मणगढ़ और बागीदौरा, बाड़मेर है। सरदारपुरा से अशोक गहलोत लगातार 5वीं बार विधायक हैं।

इन सीटों पर मिल रही लगातार 3 बार से हार

श्रीगंगानगर, अनूपगढ़, भादरा, बीकानेर पूर्व, रतनगढ़, उदयपुरवाटी, खंडेला, शाहपुरा, फुलेरा, विद्याधर नगर, मालवीय नगर, सांगानेर, बस्सी, किशनगढ़ बास, बहरोड, थानागाजी, अलवर शहर, नगर, नदबई, धौलपुर, महवा, गंगापुर, मालपुरा, अजमेर नॉर्थ, अजमेर साउथ, ब्यावर, नागौर, खींवसर, मेड़ता, जैतारण, सोजत, मारवाड़ जंक्शन, भोपालगढ़, सिवाना, भीनमाल, सिरोही, रेवदर, उदयपुर, घाटोल, कुशलगढ़, राजसमंद, आसींद, भीलवाड़ा, बूंदी, कोटा साउथ, लाडपुरा, रामगंज मंडी है।

भाजपा: जीत के लिए बनाई रणनीति

सूत्रों के अनुसार भाजपा यह मान कर चल रही कि 180 सीटों पर तो पार्टी चुनावी पाला मांडने में कामयाब हो जाती है। इन सीटों में से करीब 27 सीटें तो ऐसी हैं, जहां लगातार तीन बार से भाजपा चुनाव जीतती आ रही है। शेष सीटों पर कभी हार तो कभी जीत मिल रही है। 19 सीटों पर तमाम प्रयास के बाद भी जीत नहीं मिल पा रही है। बताया जा रहा है कि इन 19 सीटों पर जीत दर्ज करने के लिए जो रणनीति बनाई गई है, उसके तहत सबसे पहले इन सीटों पर उन प्रभावशाली व्यक्तियों से संपर्क किया जा रहा है, जो किसी न किसी रूप में बड़े वोट बैंक को प्रभावित करते हों। ऐसे नेता जो इन क्षेत्रों में बागी होकर चुनाव लड़ चुके हैं। उन्हें भी फिर से पार्टी में शामिल किया जा रहा है। संगठन की कमजोर स्थिति के कारण ढूंढे जा रहे हैं और उनको दूर करने पर काम किया जा रहा है।

इन सीटों पर लगातार जीत रही भाजपा

बीकानेर पूर्व, रतनगढ़, फुलेरा, विद्याधर नगर, मालवीय नगर, अलवर शहर, अजमेर उत्तर, अजमेर दक्षिण, ब्यावर, नागौर, सोजत, पाली, बाली, सूरसागर, सिवाना, भीनमाल, रेवदर, उदयपुर, राजसमंद, आसींद, भीलवाड़ा, बूंदी, कोटा दक्षिण, लाडपुरा, रामगंजमंडी, झालरापाटन, खानपुर।

ये सीटें भाजपा के लिए चिंता का विषय

झुंझुनूं, नवलगढ़, खेतड़ी, फतेहपुर, लक्ष्मणगढ़, दातारामगढ़, कोटपूतली, बस्सी, राजगढ़-लक्ष्मणगढ़, बाड़ी, टोडाभीम, सपोटरा, सिकराय, लालसोट, सरदारपुरा, बाड़मेर, सांचोर, वल्लभनगर, बागीदौरा।

3 से ज्यादा बार कब्जा

प्रदेश की जिन 27 सीटों पर पार्टी जीत रही है, उनमें से बाली और पाली ऐसी सीट है, जहां पांच बार से लगातार भाजपा जीत रही है। इसी तरह अजमेर शहर की दोनों सीटें, झालरापाटन पर भाजपा चार बार से लगातार जीत दर्ज कर रही है।