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Jaipur Literature Festival 2023 : भ्रष्टाचार और नस्लवाद के विचार कभी काम नहीं करते

श्रीलंका के उपन्यासकार शेहान करुणातिलक ने कहा कि 'द सेवन मून्स ऑफ माली अल्मेडा' में एक फोटोग्राफर की कहानी कहीं गई है, जो अपनी मौत के बाद एक मिशन पर है।

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Jaipur Literature Festival 2023 :  भ्रष्टाचार और नस्लवाद के विचार कभी काम नहीं करते

Jaipur Literature Festival 2023 : भ्रष्टाचार और नस्लवाद के विचार कभी काम नहीं करते

श्रीलंका के उपन्यासकार शेहान करुणातिलक ने कहा कि 'द सेवन मून्स ऑफ माली अल्मेडा' में एक फोटोग्राफर की कहानी कहीं गई है, जो अपनी मौत के बाद एक मिशन पर है। शेहान ने कहा कि उन्होंने लंका के गृहयुद्ध के बीच मरने वालों, वहां के भ्रष्टाचार, नस्लवाद का इस किताब में उल्लेख किया है। इसके द्वारा उन्होंने अपने देशवासियों को संदेश दिया कि भ्रष्टाचार और नस्लवाद के विचारों ने काम नहीं किया है और कभी भी काम नहीं करेंगे। यह संदेश मात्र उनके देश के लिए न होकर सब देशों के लिए है।

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1990 के श्रीलंका पर आधारित

1990 के समय में श्रीलंका पर आधारित, करुणातिलका का यह दूसरा उपन्यास समलैंगिक युद्ध फोटोग्राफर और जुआरी, माली अल्मेडा का अनुसरण करता है, जो मरने के बाद जागता है। द सेवन ऑफ माली अल्मेडा एक माली जिसका नाम अल्मेडा है। वह पेशे से एक फोटोग्राफर होता है। साल 1990 में अपनी मौत को बाद वो स्वर्ग के वीजा कार्यालय की तरह दिखने वाली एक जगह पहुंचता है। वह यह नहीं जानता कि उसे किसने मारा। माली के पास उन लोगों से संपर्क करने के लिए सात चांद हैं, जिन्हें वो सबसे ज्यादा प्यार करता है। इन सभी बातों के बीच उसे देश में गृहयुद्ध के अत्याचारों से जुड़ी कई तस्वीरों का एक जखीरा मिलता है, जो अगर सामने आ जाए तो देश को झकझोर कर रख देगा। करुणातिलक ने कहा, यह किताब मैंने आपके लिए लिखी है। यह ऐसे समय में जीत है, जब देश ने बहुत कुछ खोया है।